स्वामी विवेकानंद की 5 कहानियां | Swami Vivekananda Life Story in Hindi
माँ का त्याग (एक रोटी) : Swami Vivekananda Mother Story in Hindi
बात उस समय की है, जब स्वामी विवेकानंद की प्रसिद्धि, उनके ज्ञान और अच्छे आचरण की वजह से पूरे विश्व में फ़ैल चुकी थी। वह जहाँ भी जाते, लोग उनके अनुयायी बन जाते और उनकी बातों से मंत्रमुग्ध हो जाते थे।
एक बार स्वामी विवेकानंद एक नगर में पहुँचे। जब वहाँ के लोगों को पता चला तो वो सारे लोग स्वामी जी मिलने के लिए पहुँचे। नगर के अमीर लोग, एक से बढ़ कर एक उपहार स्वामी जी के लिए लाये।
कोई सोने की अँगूठी लाया तो कोई हीरों से जड़ा बहुमूल्य हार। स्वामी जी सबसे भेंट लेते और एक ओर अलग रख देते।
उतने में एक बूढी औरत चलती हुई स्वामी जी के पास आई और बोली, – महाराज आपके आने का समाचार मिला तो मैं आपसे मिलने को व्याकुल हो गयी।
मैं बहुत गरीब हूँ और कर्ज में दबी हूँ, मेरे पास आपको देने के लिए कुछ उपहार तो नहीं है। मैं खाना खा रही थी तो कुछ रोटियाँ आपके लिए लायी हूँ, अगर आप इस गरीब की रोटियाँ स्वीकार करें तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी।
आस पास खड़े लोग इस बूढी औरत को घृणा की दृष्टि से देखने लगे कि ये औरत क्या बेवकूफ है, जो ऐसी सुखी रोटी स्वामी जी के लिए लेकर आयी है|
स्वामी जी की आँखों में आँसू भर आये, उन्होंने उस महिला से रोटी ली और वहीं खाने लगे। वहाँ बैठे लोगों को ये बात कुछ बुरी लगी उन्होंने पूछा- स्वामी जी, हमारे दिए हुए कीमती उपहार तो आपने अलग रख दिए और इस गंदे कपड़े पहने औरत की झूठी रोटी आप बड़े स्वाद से खा रहे हैं। ऐसा क्यों?
स्वामी जी बड़ी सुंदरता से मुस्कुराते हुए उत्तर दिया कि देखिये आप लोगों ने मुझे अपनी पूरी धन और दौलत से मात्र कुछ हिस्सा निकालकर मुझे कीमती रत्न दिए।
लेकिन इस महिला के पास तो कुछ नहीं है सिवाय इस रोटी के, फिर भी इसने अपने मुँह का निवाला मुझे दे दिया| इससे बड़ा और त्याग क्या हो सकता है? एक माँ ही ऐसा काम कर सकती है, माँ खुद भूखे रहकर भी अपने बच्चों को खाना खिलाती है। ये एक रोटी नहीं, इस माँ की ममता है, और इस ममतामयी माँ को मैं शत शत नमन करता हूँ।
स्वामी जी की बातें सुनकर वहाँ उपस्थित सारे लोग निशब्द रह गए। वाह! कितने उच्च विचार हैं आपके, सबके मन में स्वामी जी के लिए यही शब्द थे।
मित्रों माँ एक इंसान नहीं बल्कि भगवान का दिया हुआ वरदान है जो हम लोगों को मिला है। कहा जाता है कि माँ की ममता के आगे स्वर्ग का सुख भी फीका है। क्यूंकि माँ ही वो इंसान है जो खुद कष्ट सहकर अपने बच्चों को पालती है। तो मित्रों अपने माता पिता की सेवा करिये उन्हें कभी दुःख मत पहुँचाइये यही इस कहानी की शिक्षा है|
स्वामी विवेकानंद और विदेशी महिला की कहानी (Swami Vivekananda Ji Story Kahani in Hindi)
महान कर्मयोगी स्वामी विवेकानंद के जीवन का एक प्रसंग है| स्वामी विवेकानंद की ख्याति दुनिया भर में फ़ैल चुकी थी। लाखों लोग स्वामी जी एक अनुयायी हो चले थे। एक बार एक विदेशी स्त्री स्वामी जी प्रभावित होकर उनसे मिलने आई। स्वामी जी के चेहरे पर सूर्य के समान तेज था।
विदेशी महिला स्वामी जी से बोली – स्वामी जी मैं आपसे विवाह करना चाहती हूँ
स्वामी जी बोले – क्यों ? हे देवी मैं तो बृह्मचारी पुरुष हूँ
विदेशी महिला बोली – मुझे आपके ही जैसा तेजस्वी पुत्र चाहिए ताकि वो बड़ा होकर दुनिया को ज्ञान बाँट सके और मेरा नाम रौशन करे।
स्वामी जी उस महिला के आगे हाथ जोड़े और बोले – माँ…… लीजिए देवी मैं आज से आपको अपनी माँ मानता हूँ। आपको मेरे जैसा पुत्र भी मिल गया और मेरा बह्मचर्य भी नहीं टूटेगा।
इतना सुनते ही वो महिला स्वामी जी के चरणों में गिर पड़ी। धन्य हैं आप स्वामी जी, आप के युवाओं के लिए आप सचमुच प्रेरणा के स्रोत हैं।
#3 Hindi Swami Vivekananda Inspirational Story
एक बार स्वामी विवेकानंद के आश्रम में एक व्यक्ति आया जो देखने में बहुत दुखी लग रहा था । वह व्यक्ति आते ही स्वामी जी के चरणों में गिर पड़ा और बोला कि महाराज मैं अपने जीवन से बहुत दुखी हूँ मैं अपने दैनिक जीवन में बहुत मेहनत करता हूँ , काफी लगन से भी काम करता हूँ लेकिन कभी भी सफल नहीं हो पाया । भगवान ने मुझे ऐसा नसीब क्यों दिया है कि मैं पढ़ा लिखा और मेहनती होते हुए भी कभी कामयाब नहीं हो पाया हूँ,धनवान नहीं हो पाया हूँ ।
स्वामी जी उस व्यक्ति की परेशानी को पल भर में ही समझ गए । उन दिनों स्वामी जी के पास एक छोटा सा पालतू कुत्ता था , उन्होंने उस व्यक्ति से कहा – तुम कुछ दूर जरा मेरे कुत्ते को सैर करा लाओ फिर मैं तुम्हारे सवाल का जवाब दूँगा ।
आदमी ने बड़े आश्चर्य से स्वामी जी की ओर देखा और फिर कुत्ते को लेकर कुछ दूर निकल पड़ा । काफी देर तक अच्छी खासी सैर करा कर जब वो व्यक्ति वापस स्वामी जी के पास पहुँचा तो स्वामी जी ने देखा कि उस व्यक्ति का चेहरा अभी भी चमक रहा था जबकि कुत्ता हाँफ रहा था और बहुत थका हुआ लग रहा था । स्वामी जी ने व्यक्ति से कहा – कि ये कुत्ता इतना ज्यादा कैसे थक गया जबकि तुम तो अभी भी साफ सुथरे और बिना थके दिख रहे हो तो व्यक्ति ने कहा कि मैं तो सीधा साधा अपने रास्ते पे चल रहा था लेकिन ये कुत्ता गली के सारे कुत्तों के पीछे भाग रहा था और लड़कर फिर वापस मेरे पास आ जाता था । हम दोनों ने एक समान रास्ता तय किया है लेकिन फिर भी इस कुत्ते ने मेरे से कहीं ज्यादा दौड़ लगाई है इसीलिए ये थक गया है ।
स्वामी जी ने मुस्कुरा कर कहा -यही तुम्हारे सभी प्रश्नों का जवाब है , तुम्हारी मंजिल तुम्हारे आस पास ही है वो ज्यादा दूर नहीं है लेकिन तुम मंजिल पे जाने की बजाय दूसरे लोगों के पीछे भागते रहते हो और अपनी मंजिल से दूर होते चले जाते हो ।
मित्रों यही बात हमारे दैनिक जीवन पर भी लागू होती है हम लोग हमेशा दूसरों का पीछा करते रहते है कि वो डॉक्टर है तो मुझे भी डॉक्टर बनना है ,वो इंजीनियर है तो मुझे भी इंजीनियर बनना है ,वो ज्यादा पैसे कमा रहा है तो मुझे भी कमाना है । बस इसी सोच की वजह से हम अपने टेलेंट को कहीं खो बैठते हैं और जीवन एक संघर्ष मात्र बनकर रह जाता है , तो मित्रों दूसरों की होड़ मत करो और अपनी मंजिल खुद बनाओ
#4 Swami Vivekananda Motivational Story in Hindi
एक बार स्वामी जी अमेरिका में अपने अनुयायियों के साथ घूम रहे थे। वही स्वामी जी ने देखा कुछ बच्चे नदी में तैरते अंडों के छिलकों पर बंदूक से निशाना लगा रहे हैं| वो बच्चे बार बार कोशिश कर रहे थे लेकिन उनका निशाना बार बार चूक जाता था। स्वामी जी ऐसा देखकर बड़े उतावले हुए और वो बच्चों से बंदूक लेकर खुद निशाना लगाने लगे।
स्वामी जी ने जैसे ही पहला निशाना लगाया वो ठीक निशाने पर लगा। अब स्वामी जी ने एक के बाद एक 12 निशाने लगाये और सारे सटीक लगे। बच्चों ने बड़ी हैरानी से स्वामी जी से पूछा कि आप तो सन्यासी हैं, आपको तो निशाना लगाना भी नहीं आता फिर आपने कैसे सारे निशाने एक दम सही लगाए|
स्वामी जी बोले – बच्चों, जब भी कोई काम करो उसे पूरे ध्यान से करो, आपका पूरा ध्यान आपके लक्ष्य पर होना चाहिए| जो काम कर रहे हो सिर्फ उसी में दिमाग लगाओ फिर देखना तुम दुनिया का हर लक्ष्य बड़ी आसानी से प्राप्त कर लोगे। हमारे भारत में बच्चों को यही शिक्षा दी जाती है।
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