होली पर कविता – Holi Poems in Hindi
होली पर कविता – Hindi Poem on Holi
होली रे जोगिया
फाल्गुन में होली का दिन ऐसे जैसे मन मलंग
खेले होली,जैसे जवान तोड़ दे मस्ती में पलँग
मन में मस्ती की छाई है एक बार फिर नई उमंग
शरीर और मन डोल रहा जैसे नई नवेली तरंग
न रखे मन में किसी के प्रति द्वेष ईर्ष्या और भर्म
यारो होली है छोड़ दो सब को करे कैसा भी कर्म
मन के काले मैल को जला दो होली में इसी जन्म
रंग दें रंग लें सबका अपना तन मन होली में हम
प्राचीन व आधुनिक होली
समय समय की बात है होली आज है कल भी होती थी
आज इन्टरनेट से बधाईयां देते कल थे देते लगा रंगों की
कल की बात है जैसे पडोसी होता होली पर आने पर खुश
आज की बात करें, पडोसी सोचे क्यों आये ये दिखे नाखुश
मैल मिलाप अब दूर का ही लगता अच्छा सोचे बच्चा बच्चा
लगा दिया थोड़ा रंग तो देखे ऐसे, जैसे जायेगा चबा कच्चा
त्यौहार नहीं मनाओगे तो संस्कार सब में कहाँ से आएंगे
अब तो सब त्यौहार फेसबुक व्हाट्सएप्प पर ही मनाएंगे
समय आएगा कुछ समय में ऐसा होली हो जाएगी गुम
होली दिखेगी फोटो में ढूंढेंगे उसे गूगल में मिल हम तुम
निकलो बताओ मनाओ सिखाओ होली है ऋतू का आगमन
मिलन का त्यौहार है, मनाओ मिलकर अभी सब अपना मन
– राजेश कुमार
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