बच्चों को दें संस्कार व् शिष्टाचार | Acche Sanskar Motivational Story in Hindi
संस्कार का अर्थ और महत्व
टीचर क्लास में बच्चों को पढ़ा रहे थे कि अच्छे संस्कार और शिष्टाचार का जीवन में क्या महत्व है? उदाहरण के लिए उन्होंने एक शीशे का जार लिया और उसमे कुछ गेंद डालने लगे, धीरे धीरे जार पूरा भर गया|
उसके बाद उन्होनें कुछ कंकड़ मंगाए और उन्हें भी जार में डालना शुरू कर दिया| जार में जहाँ थोड़ी जगह बाकी थी वहाँ सब कंकड़ भी भर गये|
इसके बाद उन्होनें जार में रेत डालना शुरू किया, तो रेत भी जार में समाने लगी अब धीरे धीरे जार पूरा भर गया| फिर अध्यापक ने पानी मँगाया और जार में पानी डालने लगे| सबने देखा कि पानी भी जार में रेत और कंकड़ों के बीच समाने लगा|
बच्चे ये सब बहुत ध्यान से देख रहे थे लेकिन उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था.. तब टीचर ने समझाया कि इंसान भी इसी जार की तरह है इसमें काफ़ी चीज़ें आ सकती हैं अब ये तुम पे निर्भर है कि तुम क्या लेना चाहते हो?
सोचो अगर जार में सबसे पहले रेत डाल दी जाती तो क्या गेंद उसमें कभी समा पातीं? कभी नहीं… उसी प्रकार बालक में सर्वप्रथम संस्कारों का बीज बोना चाहिए इसके बाद क्रमशः आप उसे सामाजिक और किताबी ज्ञान दें|
बच्चों को सबसे पहले शिष्टाचार और संस्कार सीखना चाहिए, बाकी दुनियाँ के काम के लिए तो पूरा जीवन पड़ा हुआ है| बच्चों के मन में अगर शिष्टाचार का भाव होगा तो वह बाकि चीजों को भी सही से एडजेस्ट कर ही लेगा| उसके दिमाग को सीधे दुनिया दारी की बातों से ना भरें अन्यथा अच्छाई के लिए उसमें जगह ना बचेगी…
अक्सर हम देखते हैं कि लोग सीधे बस अच्छी नौकरी या पैसे की बात करते हैं लेकिन माता पिता को चाहिए कि सबसे पहले गेंद रूपी ज्ञान बच्चों को दें|
उसके बाद धीरे धीरे क्रमानुसार जीवन का तरीका सिखाएं क्यूंकी अगर बच्चों के दिमाग़ में शुरू से ही अवसाद रूपी रेत ने घर कर लिया तो फिर सारा जीवन अच्छे विचारों के लिए जगह नहीं बचेगी|
हम आशा करते हैं कि यह लघु कहानी आपको बेहद पसंद आई होगी… धन्यवाद!!
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