ज़िद्दी इंसान ही इतिहास रचता है
Real Life Inspirational Stories in Hindi
जिद्दी लोग ही इतिहास रचते हैं। इतिहास उठा कर देख लीजिये आज तक जिस इंसान ने अपनी जिद को पाला है उसी ने इतिहास रचा है। एक जिद्दी इंसान ही इतिहास रच सकता है। जब-जब दुनिया में बड़े परिवर्तन हुए हैं वो किसी जिद्दी इंसान ने ही किये हैं।
जब इंसान के मन में ये जिद आ जाती है तो वो कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। साधारण इंसान केवल दुनिया में आते हैं और मर कर चले जाते हैं लेकिन जिद्दी इंसान इतिहास पलटने की ताकत रखता है। वो किसी से नहीं डरता, इतिहास गवाह है कि केवल वही इंसान सफल होते हैं जिनके अंदर कुछ करने की जिद आ जाती है।
दशरथ मांझी की पत्नी 57 किलोमीटर तक फैले पहाड़ से नीचे गिर कर मर गयीं थीं। उस इंसान के मन में जिद आ गयी कि इस पहाड़ को तोड़ना है। 22 साल लगे लेकिन हिम्मत नहीं हारी और केवल एक छैनी और हथौड़े से 57 किलोमीटर का पहाड़ तोड़ डाला।
ये होती है जिद्दी इंसान की ताकत
सरदार भगत सिंह के माँ बाप ने उनको कहा कि बेटा तेरी शादी तय हो गयी है। अगले ही दिन एक चिट्ठी लिखकर घर से भाग गये कि मैंने ये शरीर इस देश को दे दिया है। ये किसी एक महिला के लिए नहीं है। ये मेरा शरीर इस भारत माँ के लिये है और भारत की स्वतंत्रता के लिये आंदोलन चलाया। उनमें जिद थी इस देश को आजाद कराने की, उनमें जिद थी भारत माँ पर हुए हर अत्याचार का बदला लेने की।
ये जिद्दी शूरवीर हँसते हँसते फाँसी पर चढ़ गया और नए इतिहास का निर्माण किया।
महात्मा गाँधी को साऊथ अफ्रीका में अंग्रेजों ने ट्रेन के डब्बे से उतार दिया था कि तू इस पहले डिब्बे में सफर नहीं सकता। गाँधी जी ने कहा कि मेरे पास टिकट है तो अंग्रेजों ने कहा कि कुछ भी हो, तू इस पहले डिब्बे में सफर नहीं कर सकता और धक्का देकर ट्रेन से उतार दिया तो गाँधी जी जवाब दिया कि तुमने तो मुझे केवल ट्रेन से निकाला है, अब मैं तुमको इस देश से निकाल फेकूँगा।
चन्द्रशेखर आजाद ने कहा था कि मेरे जीते जी अंग्रेज तो क्या, अंग्रेजों की गोली भी मुझे छू नहीं सकती। बहुत जिद्दी इंसान थे चन्द्रशेखर, अपने हाथों से खुद को गोली मार ली लेकिन अंग्रेजों को खुद को छूने तक नहीं किया।
मात्र 12 साल की उम्र में मलाला यूसुफजई के सर में आतंकवादियों ने 3 गोली मारी थीं। उनको जिद थी पढ़ने की और सभी महिलाओं तक पढाई पहुँचाने की। सोचिये आपके 12 साल के छोटे से बच्चे को गोली लग जाये तो क्या होगा ? लेकिन मलाला यूसुफजई ने अपने आंदोलन को और तेज कर दिया और इतनी कम उम्र में ही उनको विश्व का सर्वश्रेष्ठ पुरुस्कार Nobel Peace Prize मिला।
ये जो जिद है ना ! ये इंसान में एक अदभुत ताकत भर देती है। एक आम इंसान वो सब सोच भी नहीं सकता जो ये जिद्दी इंसान कर गुजरते हैं।
जिंदगी में सफल होना है तो जिद पालिये –
जिद पालिये क्योंकि जिद्दी इंसान किसी ने नहीं डरता
जिद पालिये क्योंकि जिद्दी इंसान अपने फैसले खुद लेता है उसे समाज से कोई लेना देना नहीं होता
जिद पालिये क्योंकि जिद्दी इंसान जो सोचता वो कर के ही दम लेता है
जिद्दी इंसान ही दुनिया बदलने की ताकत रखता है। हाँ, एक जिद्दी इंसान ही इतिहास रचता है।
जिद पालिये लेकिन केवल अच्छी जिद पालिये। व्यसनों की जिद पाल ली तो इस लोक में तो क्या उस परलोक में भी आपको कोई पूछने वाला नहीं है।
अगर आप भी सफल होना चाहते हैं तो अपने अंदर एक जूनून को पालिये, एक जिद को पालिये फिर देखिये ये जिद ही आपको वहां तक लेके जायेगी जहाँ आप चाहते हैं।
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