शहीद मंगल पांडे की जीवनी Mangal Pandey Biography in Hindi

March 27, 2017

Biography of Mangal Pandey in Hindi

प्रथम क्रांतिकारी मंगल पांडे

मंगल पांडे आजादी के लिए शहीद होने वाले पहले सेनानी थे। मंगल पांडे भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के जनक कहे जाते हैं। मंगल पांडे के द्वारा भड़काई गयी विरोध की चिंगारी ने देखते ही देखते आग का जन्म लिया और ब्रिटिश सरकार का तख्तो ताज हिला कर रख दिया।

हालाँकि भारत का प्रथम स्वाधीनता संग्राम पूरी तरह सफल नहीं हो पाया था लेकिन भारत की जनता में विद्रोह की भावना भड़क उठी थी। मंगल पांडे ही अंग्रेजों का विरोध करने वाले प्रथम क्रांतिकारी थे और इन्हीं के बलिदान के बाद कई नए क्रांतिकारियों ने जन्म लिया।

mangal pandey

नाम – मंगल पांडे
जन्म – 19 जुलाई 1827
मृत्यु – 8 अप्रैल 1857
प्रसिद्धि – प्रथम स्वतंत्रता सेनानी

मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई 1827 को बलिया जिले के नगवा नामक गाँव में हुआ था। मंगल पांडे के पिता दिवाकर पांडे साधारण से किसान थे। उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। हर साल बाढ़ आने की वजह से फसल भी बर्बाद हो जाती थी।

मंगल पांडे जाति से ब्राह्मण थे। उन दिनों अंग्रेज केवल ब्राह्मण और मुसलमानों को ही सेना में भर्ती किया करते थे। उनका मानना था कि ब्राह्मण बड़े विश्वास पात्र होते हैं। इसी के चलते मंगल पांडे को भी सेना में भर्ती किया गया।

कैसे मंगल पांडे बने विद्रोही –

ये घटना 31 जनवरी 1857 की है। उन दिनों छुआछूत की भावना समाज में बहुत ज्यादा फैली हुई थी। उच्च जाति के लोग खुद को श्रेष्ठ मानते थे और नीची जाति के लोग दब कर जीते थे। ऐसे ही एक दिन मंगल पांडे अपने लोटे में पानी भरकर खाना खाने बैठे ही थे कि अचानक एक कर्मचारी वहाँ आया जो भंगी जाति का था। उसे बहुत तेज प्यास लगी थी।

उस कर्मचारी ने मंगल पांडे से कहा – पंडित जी, बड़ी तेज प्यास लगी है जरा अपने लोटे का पानी पीने दीजिये

मंगल पांडे ने उस कर्मचारी को पानी पिलाने से इंकार कर दिया और उसे दुत्कारा कि तू भंगी जाति का है, तुझे अपने लोटे से पानी नहीं पिला सकता

कर्मचारी ने कहा – पंडित जी, मुझको पानी पिलाने से आपका धर्म भृष्ट होता है लेकिन जब वो अंग्रेज आपको गाय और सूअर की चर्बी से बना कारतूस देते हैं और उस कारतूस को आप अपने मुँह से छीलते हैं तब आपकी जाति कहाँ चली जाती है?

संयोग से वह कर्मचारी कारतूस बनाने के कारखाने में ही काम करता था और उसकी कही हुई बात एकदम सत्य थी।

मंगल पांडे को ये बात सुनकर बहुत गुस्सा आया कि अंग्रेज कारतूस बनाने में गाय और सूअर के मॉस का प्रयोग करते हैं और उन्होंने अंग्रेजों का विरोध करने का निर्णय ले लिया। इसके बाद मंगल पांडे ने देखा कि अंग्रेज हमारे देश की जनता का बुरी तरह शोषण करते हैं तो उनके अंदर की ज्वाला और भड़क उठी।

मंगल पांडे ने कई लोगों को अपने साथ मिलाया और अंग्रेजों का खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया। मंगल पांडे अपने देश और अपने धर्म को बचाने के लिए अंग्रेजों से बगावत पर उतर आये। उनके साथ उनके कुछ साथियों ने भी अंग्रेजों का विरोध करना शुरू कर दिया।

जब अंग्रेजों को ये बात पता चली तो उन्होंने सैनिकों को फटकारा और भला बुरा कहा।

मंगल पांडे ने चलाई आजादी की पहली गोली –

इस घटना के कुछ ही दिन बाद, 29 मार्च 1857 को मंगल पांडे ने अपने विद्रोह का बिगुल बजा ही दिया। मंगल पांडे सुबह ही अपनी बन्दुक और शस्त्र लेकर छावनी पहुंचे और उन्होंने अपने सभी साथियों को आवाज लगाई कि सभी लोग अपनी अपनी बैरक से बाहर आजाओ और इन अंग्रेजों को इस देश से खदेड़ दो। हमें भारत माता को इन अंग्रेजों से आजाद कराना है।

मंगल पांडे की आवाज सुनकर उनके कई साथी बाहर आ गए और सभी सैनिक आक्रोश से भरे हुए थे और अंग्रेजों से इस देश को आजाद कराना चाहते थे। तभी लेफ्टिनेण्ट जनरल ह्यूसन की नजर मंगल पांडे पर पड़ी। जनरल ह्यूसन ने एक सैनिक को मंगल पांडे को पकड़ने को कहा लेकिन वो सैनिक भी हिन्दू था इसलिए उसने मंगल पांडे को पकड़ने से इंकार कर दिया।

तभी लेफ्टिनेन्ट बाफ मंगल पांडे को पकड़ने को आगे बढ़ा। लेफ्टिनेन्ट बाफ घोड़े पर था उसको लगा था कि मंगल पांडे उसे देखकर घबरा जायेगा लेकिन मंगल पांडे ने बन्दुक निकाली और बाफ पर गोली चला दी।

“ये आजादी की पहली गोली थी, जो मंगल पांडे ने चलायी थी” गोली की आवाज से पूरी छावनी में गूंज उठी।

ये गोली बाफ के घोड़े को लगी और लेफ्टिनेन्ट बाफ नीचे गिर पड़ा। तभी जनरल ह्यूसन ने मंगल पांडे पर हमला करने की सोची लेकिन मंगल पांडे चौंकन्ने थे और उन्होंने जनरल ह्यूसन को गोली मारकर नीचे गिरा दिया। इसके बाद उन्होंने लेफ्टिनेन्ट बाफ को भी चाकु से गोदकर मार डाला।

सारे सैनिक चुपचाप खड़े देख रहे थे कोई अंग्रेजों का कहना नहीं मान रहा था और ना ही मंगल पांडे का साथ दे रहा था। मंगल पांडे अकेले ही अभिमन्यु की तरह अंग्रेजों पर टूट पड़े और पूरी छावनी गोलियों की आवाज से गूंज उठी।

तभी अंग्रेजों के आॅफिसर जनरल हियर्सी कहने पर एक मुसलमान सिपाही “शेख पलटू” ने मंगल पांडे को पीछे से धोखे से पकड़ लिया। इतने में अंग्रेजी लोग मंगल पांडे पर हावी होने लगे। सभी सैनिक अभी भी बुत बने खड़े थे तभी जनरल हियर्सी ने आदेश दिया कि जो सैनिक मंगल पांडे को पकड़ने में मदद नहीं कर रहा है उसे तुरंत गोली मार दी जाये।

अब मंगल पांडे को लगा कि वह अंग्रेजों के चंगुल ने नहीं बच पायेंगे इसलिए उन्होंने खुद को गोली मारकर आत्महत्या करने की भी कोशिश की लेकिन वो सफल ना हो सके। घायल मंगल पांडे को मुसलमान सैनिकों की मदद से गिरफ्तार किया गया।

मंगल पांडे शहीद हुए –

अदालत में मंगल पांडे पर मुकदमा चला और मंगल पांडे ने अंग्रेज अफसर की हत्या करना कुबूल ककर लिया। इसके लिए मंगल पांडे को फांसी की सजा सुनाई गयी। मंगल पांडे को 18 अप्रैल 1857 को फांसी होनी थी लेकिन देश की जनता में मंगल पांडे की वीरता को देखकर जोश जाग उठा था और कोई भी जल्लाद मंगल पांडे को फांसी पर चढाने को तैयार नहीं था।

तब अंग्रेजों ने कलकत्ता से जल्लाद बुलाये और उनको ये खबर नहीं दी कि किसको फांसी देनी है और 8 अप्रैल 1857 को यानि फांसी की सजा से 10 दिन पहले ही मंगल पांडे को फांसी पर लटका दिया गया।

देश में फैली क्रांति –

मंगल पांडे के शहीद होने के बाद देश में आजादी पाने की लहर सी दौड़ पड़ी। इस घटना के बाद कई नए क्रांतिकारियों ने जन्म लिया। भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम की शुरुआत हो चुकी थी। पूरे भारत में आजादी के प्रयास और तेज होते गये।

पहले शहीद बने मंगल पांडे –

“शहीद” शब्द सबसे पहले मंगल पांडे के लिए ही प्रयोग किया गया। मंगल पांडे आजादी के लिए लड़ने वाले पहले शहीद थे।

धन्य है ये भारत भूमि जहाँ मंगल पांडे जैसे वीरों ने जन्म लिया। मंगल पांडे ने अपने प्राणों की आहुति देकर देश में आजादी की चिंगारी को जलाया। हम इस वीर सेनानी के हमेशा कर्जदार रहेंगे और हमें गर्व है कि हम उस देश का हिस्सा हैं जहाँ मंगल पांडे जैसे क्रांतिकारी पैदा हुए जिन्होंने अपने लहू से इस भारत भूमि की मिटटी को सींचा है।

मंगल पांडे को कोटि कोटि नमन…