Lala Lajpat Rai History in Hindi लाला लाजपत राय की जीवनी

November 17, 2016

Biography of Lala Lajpat Rai In Hindi

आज हम जिस स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं। उस भारत की आजादी के लिए कई लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी और आज हम एक ऐसे ही शख्स के बारे में बात करेंगे जिसने अपने प्राणों को न्यौछावर करके भारत में क्रांति की ज्योति जलाई और इस ज्योति ने सम्पूर्ण अंग्रेजी साम्राज्य को जड़ से उखाड़ फेंका।

उस शख्स का नाम है – “लाला लाजपत राय”, ये प्रसिद्ध त्रिमूर्ति लाल-बाल-पाल में से एक थे। लाला लाजपत राय – Lala Lajpat Rai भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गरम दल के नेता था।

लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के मोगा जिले में हुआ था। लाला जी हिंदुत्व की भावना से बचपन से ही ओतप्रोत थे। किशोरावस्था में Lala Lajpat Rai स्वामी दयानंद से मिलने के बाद उनसे बहुत प्रभावित हुए और उनपर आर्य समाजी विचारों का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। लाला जी शांति प्रिय आदमी थे और वो चाहते थे कि भारत से कुरीतियों को मिटाया जाये, आर्य समाजी विचारों का प्रचार किया जाये।

lala-lajpat-raiलाला जी को “पंजाब केसरी” और “पंजाब का शेर” जैसे नामों से जाना जाता था। लालाजी ने लाहौर से कानून (लॉ) की पढाई की थी और वकालत का कार्य करते थे लेकिन देश को गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा देखकर उनका खून खौल उठता था।

लालाजी एक कुशल प्रवक्ता और धार्मिक स्वभाव के व्यक्ति थे। ईश्वर में उनका अटूट विश्वास था और हमेशा भारत में पनपने वाली रूढ़ियों के खिलाफ रहते थे।

इसके बाद लाला जी भारतीय कांग्रेस पार्टी से जुड़े और कई सारे राजनैतिक अभियान भी चलाये। लालाजी की मुलाकात जब गाँधी जी से हुई तो वो बड़े प्रभावित हुए और अपना सभी काम काज छोड़कर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े।

लाला जी गरम दल से जुड़ने के बाद लगातार अंग्रेजों के विरुद्ध काम कर रहे थे और उनके बढ़ते प्रभाव को देखकर अंग्रेजों ने उन्हें 1907 में बर्मा की जेल में डलवा दिया। जेल से आने के बाद लाला लाजपत राय की गतिविधियां और तेज हो गयीं और वह गाँधी जी के साथ असहयोग आन्दोलन में कूद पड़े।

भारत में स्वतन्त्रता आंदोलन तेजी से फ़ैल रहे थे उसी समय साइमन कमीशन भारत आया। उस समय लाला जी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष थे और कांग्रेस ने साइमन कमीशन का जमकर विरोध किया। लाला जी लाहौर में साइमन कमीशन के विरोध में एक रैली को संबोधित कर रहे थे। तब उस रैली पर ब्रिटिश सरकार ने लाठी चार्ज करा दिया।

लाला जी ने जी जान से साइमन कमीशन का विरोध किया लेकिन लाठी चार्ज के दौरान उनको गंभीर चोटें आयीं और इस घटना के करीब 3 हफ्ते बाद लाला जी का देहांत हो गया।

लाला लाजपत राय जी ने एक बहुत बड़ी बात कही थी – “मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी।” और उनकी ये बात भी सही साबित हुई, लाला जी के स्वर्ग सिधारने के बाद पूरे देश में आक्रोश फूट पड़ा और एक नयी क्रांति का जन्म हुआ और चंद्रशेखर आज़ाद, भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव व अन्य क्रांतिकारियों ने आक्रोशित होकर लाला जी की मौत का बदला लेने का निर्णय लिया।

लाला जी की मृत्यु के करीब एक महीने बाद ही 17 दिसम्बर 1928 को ब्रिटिश पुलिस अफसर सांडर्स को गोली से मार दिया गया और इसी मामले में राजगुरु, सुखदेव और भगतसिंह को फाँसी की सज़ा सुनाई गई थी।

हमें गर्व है इस भारत भूमि पर जिसने लाला लाजपत राय जैसे वीर सपूतों को जन्म दिया। ऐसे वीर जिन्होंने इस मातृ भूमि की हमेशा तन, मन से सेवा की और अपना जीवन न्योछावर कर दिया।

लाला लाजपत राय को मेरा शत शत नमन…..

दिन 17 नवंबर 1928 को ये अमर ज्योति हमेशा के लिए विलुप्त हो गयी थी।

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