डायरेक्ट तथा रेगुलर म्यूचुअल फण्ड क्या है ? ज्यादा फायदे वाला म्यूचुअल फण्ड
म्यूचुअल फण्ड में निवेश करने से पहले आपको यह जरूर जानना चाहिए कि डायरेक्ट तथा रेगुलर म्यूचुअल फण्ड क्या है ? क्यूंकि म्यूचुअल फण्ड में अनेकों प्रकार की स्किम होती हैं, किसी में रिस्क ज्यादा होता है तो किसी में कम, वैसे ही किसी में फायदा ज्यादा होता है तो किसी में बहुत कम| तो म्यूचुअल फण्ड को पहले सही तरीके से समझिये, फिर ही invest करने का प्लान बनाइये|
आपने कई विज्ञापन आदि में डायरेक्ट म्यूच्यूअल फण्ड के बारे में सुना होगा| विज्ञापन में बताया जाता है कि यदि आप डायरेक्ट म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करते हैं, तो आप 25 साल में 25% अधिक रिटर्न पा सकते हैं| हम इस पोस्ट में डायरेक्ट तथा रेगुलर म्यूच्यूअल फण्ड की बात करेंगे कि ये दोनों कैसे अलग हैं, साथ ही समझेंगे कि क्या आप सच में 25% ज्यादा रिटर्न कमा सकते हैं, और आप के लिए कौन सा प्लान सही रहेगा? डायरेक्ट या फिर रेगुलर? इस पर भी हम बात करेंगे।
म्यूच्यूअल फण्ड क्या है
डायरेक्ट और रेगुलर म्यूच्यूअल फण्ड समझने से पहले हमें ये समझना होगा कि आखिर म्यूच्यूअल फण्ड क्या है ? और ये कैसे काम करता है। म्यूच्यूअल फण्ड विभिन्न लोगों के द्वारा निवेशित एक फण्ड होता है| जिसे फण्ड मैनेजर द्वारा फण्ड की प्रवर्ति के हिसाब से अलग अलग एसेट्स में निवेश करके उस पर रिटर्न कमाया जाता है, और जो रिटर्न बनता है उसमें से expense ratio काटकर उसे निवेशक की यूनिट्स के हिसाब से निवेशकों में बाँट दिया जाता है।
अगर हम इसे एक उदाहरण से समझें तो मान लीजिये कि किसी XYZ फण्ड जो कि एक इक्विटी फण्ड है, जिसमें 100 लोगों ने मिलकर 1 लाख रूपए निवेश किया है|
XYZ फण्ड के फण्ड मैनेजर द्वारा इसे अलग- अलग कंपनियों के शेयर में निवेश कर दिया गया| अब 3 साल बाद शेयर मार्केट के बढ़ने से उन 1 लाख रुपये की कीमत 1 लाख 50 हजार रुपये हो गई अर्थात 50 हजार रुपये रिटर्न प्राप्त हुआ अभी 100 निवेशकों का पैसा डेढ़ गुना हो गया| ऐसे काम करता है म्यूच्यूअल फण्ड।
डायरेक्ट म्यूच्यूअल फण्ड क्या होता है
2013 में सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (SEBI) ने म्यूच्यूअल फण्ड में ग्रोथ के लिए एक नई संकल्पना लेकर आई| जिसे म्यूच्यूअल फण्ड में डायरेक्ट कॉन्सेप्ट बोला गया|
इसमें SEBI ने जितनी भी एसेट्स मैनेजमेंट कंपनी (AMC) थी, उनके लिए सर्कुलर निकला कि जो लोग डायरेक्ट AMC से म्यूच्यूअल फण्ड खरीदते हैं, उनको डायरेक्ट म्यूच्यूअल फण्ड की पेशकस की जाये।
इस डायरेक्ट म्यूच्यूअल फण्ड में जो कमीशन (0.49 से 2 प्रतिशत तक) एजेंट या ब्रोकरेज हाउस को दिया जाता था, वो नहीं दिया जाता है| जिससे निवेशक को हर साल दिए जाने वाले कमीशन की बचत हो और उसका और अधिक रिटर्न बने। अगर हम सीधे शब्दो में समझें तो डायरेक्ट म्यूच्यूअल फण्ड में आपको एजेंट या ब्रोकरेज हाउस को दिए जाने वाले कमीशन की बचत हो जाती है क्योंकि जो कमीशन AMC इनको देती थी, वो आपके रिटर्न में से ही काटा जाता था|
जोकि AMC का एक्सपेंस कहलाता है, और फण्ड पर काटे जाने वाले कमीशन और खर्चो को एक्सपेंस रेश्यो कहा जाता है।
इस प्रकार हर एक फण्ड जो 2013 के पहले सिर्फ रेगुलर स्कीम में आता था, उसके 2 भाग हो गए|
एक रेगुलर फण्ड और दूसरा डायरेक्ट फण्ड।
डायरेक्ट फण्ड में AMC का एक्सपेंस रेश्यो बहुत कम होता है, जबकि रेगुलर फण्ड में एजेंट के कमीशन के कारण ये ज्यादा होता है। बस यही मुख्य अंतर है दोनों में।
रेगुलर म्यूच्यूअल फण्ड क्या है
जब से म्यूच्यूअल फण्ड का कांसेप्ट आया है, तब से ही लोग रेगुलर म्यूच्यूअल फण्ड में ही निवेश करते आये हैं| इस में फण्ड एजेंट तथा ब्रोकरेज हाउस के द्वारा लोगों का निवेश करवाया जाता है|
इसमें एजेंट या ब्रोकरेज हाउस आपकी रिस्क प्रोफाइल के हिसाब से आपके लिए फण्ड का चुनाव करता है, फिर आपको उसमें एक मुस्त या एसआईपी के माध्यम से निवेश करने की सलाह देता है।
चूँकि, रेगुलर फण्ड में एजेंट या ब्रोकरेज हाउस का कमीशन होता है, इसीलिए वे आपके निवेश पर नजर रखते हैं, तथा वक्त- वक्त पर आपको अपने निवेश में क्या बदलाव करना है, उसकी सलाह भी आपको देते हैं। चूँकि डायरेक्ट म्यूच्यूअल फण्ड AMC के द्वारा डायरेक्ट बेचा जाता है, इस कारण आप इस तरह की सलाह से वंचित रह जाते हैं।
डायरेक्ट म्यूच्यूअल फण्ड तथा रेगुलर म्यूच्यूअल फण्ड में क्या अंतर है
अगर आप डायरेक्ट या रेगुलर फंड में अंतर की बात करें तो मैं सिर्फ ये कहना चाहूँगा कि इसमें सिर्फ एक्सपेंस रेश्यो के अलावा किसी भी प्रकार का अंतर नहीं है| डायरेक्ट म्यूच्यूअल फंड में एक्सपेंस रेश्यो कम होता है, जबकि रेगुलर म्यूच्यूअल फंड में एक्सपेंस रेश्यो ज्यादा होता है|
क्योंकि रेगुलर म्यूच्यूअल फंड में आपको निवेश करवाने वाले एजेंट या ब्रोकरेज हाउस को भी कमीशन देना होता है| जिससे रेगुलर फंड का एक्सपेंस रेश्यो बढ़ जाता है।
इसके अलावा दोनों ही फंड को एक ही फंड मैनेजर द्वारा मैनेज किया जाता है, साथ ही एक जैसे एसेट्स में इनका निवेश किया जाता है, इनका पूल फंड अकाउंट भी एक ही होता है जिसमें पैसे इकट्ठा होते हैं।
आप के लिए कौन सा फण्ड टाइप सही है रेगुलर या डायरेक्ट
आपको किस प्रकार के फंड में निवेश करना चाहिए, रेगुलर या डायरेक्ट, ये आप के म्यूच्यूअल फण्ड के अनुभव पर निर्भर करता है| जैसा कि हम पहले भी बात कर चुके हैं कि अगर आप डायरेक्ट फण्ड में निवेश करते हैं, तो आपको डायरेक्ट AMC के माध्यम से निवेश करना होगा या फिर ऐसे सर्विस प्रोवाइडर जो कि अपना कस्टमर बेस बढ़ाने के लिए डायरेक्ट म्यूच्यूअल फंड की पेशकस कर रहे हैं।
चूँकि डायरेक्ट फंड में किसी भी प्रकार का कमीशन प्राप्त नहीं होता, इसलिए आपको कोई भी वित्तीय सलाहकार सलाह देने वाला नहीं होता है| इसमें आपको ही अपने फंड का चुनाव करना होता है।
अगर आपको म्युचुअल फंड का अच्छा ज्ञान है, फंड के अल्फ़ा बीटा फैक्टर की समझ है, तो आप डायरेक्ट म्यूच्यूअल फंड में निवेश कर सकते हैं। अगर आप को इनका अनुभव नहीं है तो आपको किसी वित्तीय सलाहकार की सलाह जरूर लेनी चाहिए जो आपके पोर्टफोलियो को मैनेज करे।
क्या डायरेक्ट फण्ड 25 साल में 25 प्रतिशत बचत होती है?
जैसा कि हम ने उपरोक्त लाइन में बात की थी, कि क्या डायरेक्ट म्यूच्यूअल फण्ड में हम 25 साल में 25 प्रतिशत तक की एक्स्ट्रा बचत कर सकते हैं, तो हाँ ये बिलकुल सत्य कथन है|
आप 25 साल में 25 से भी ज्यादा प्रतिशत तक की बचत कर सकते हैं| पर इसमें एक शर्त है कि आप को म्यूच्यूअल फण्ड का अच्छा ज्ञान होना आवश्यक है| अगर आपको म्यूच्यूअल फण्ड का ज्ञान नहीं होता है, तो आप गलत फण्ड में निवेश करके उल्टा अपने द्वारा लगाए गए निवेश के अमाउंट को कम कर सकते हैं और नेगेटिव रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं|
अगर आप अच्छे फण्ड में निवेश करते हैं, जो लगभग 1 प्रतिशत कमीशन एजेंट को जाता है| वो आप के रिटर्न में जुड़ेगा और आप 25 साल में 25 प्रतिशत से भी अधिक का रिटर्न कमा पाएंगे।
हम कुछ उदहारण से डायरेक्ट म्यूच्यूअल फण्ड और रेगुलर म्यूच्यूअल फण्ड के रिटर्न को समझेंगे –
मान लीजिये राम और श्याम दो दोस्त हैं, उन्होंने एक ही समय पर म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश किया| लेकिन राम ने डायरेक्ट फण्ड में किया और श्याम ने अपने वित्तीय सलाहकार की सलाह से किया –
निवेश किये गए फण्ड –
राम – निप्पॉन इंडिया स्माल कैप फंड, डायरेक्ट प्लान, ग्रोथ ऑप्शन
श्याम – एडलवाइस लार्ज कैप फंड, रेगुलर प्लान, ग्रोथ ऑप्शन
अब राम ने देखा की निप्पॉन इंडिया स्माल कैप फंड का आलटाइम रिटर्न 20 प्रतिशत सालाना है लेकिन उसको म्यूच्यूअल फण्ड के अल्फ़ा फैक्टर का नॉलेज नहीं होने से ये नहीं समझ आया कि इस फण्ड ने सिर्फ 2014 में ही अच्छे रिटर्न दिए हैं|
इस कारण इसका औसत रिटर्न 20 प्रतिशत का हो गया, इसके बाद इस फण्ड ने नेगेटिव रिटर्न ही दिए हैं|
जबकि श्याम को वित्तीय सलाहकार द्वारा अलग अलग टाइम में फण्ड को बदलने तथा ज्यादा से ज्यादा रिटर्न प्राप्त करने के लिए स्विचिंग मेथड का उपयोग किया गया|
इस कारण जब राम ने अपने पैसे निकाले तो उसको 2 प्रतिशत का रिटर्न प्राप्त हुआ जबकि श्याम ने 13.5 प्रतिशत का रिटर्न प्राप्त किया।
अगर आप को म्यूच्यूअल फण्ड में स्विचिंग मेथड नहीं पता है तो हम आने वाले ब्लॉग में स्विचिंग मेथड को भी समझेंगे।
निवेश का सही तरीका
आप किसी भी प्रकार के म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करें, रेगुलर या डायरेक्ट| लेकिन आपको म्यूच्यूअल फण्ड का अच्छा ज्ञान होना आवश्यक है।
अगर आप खुद से डायरेक्ट म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश कर रहे हैं, तो आप सबसे पहले अपनी रिस्क प्रोफाइल को कैलकुलेट करें। रिस्क प्रोफाइल निवेशक की रिस्क लेने की क्षमता को दिखाता है| इसके अनुसार आप यह तय कर सकते हैं कि आपको कितने रिस्क वाले फण्ड में निवेश करना चाहिए|
जैसे इक्विटी फण्ड, सबसे ज्यादा रिस्क वाले फण्ड होते हैं क्योंकि ये फण्ड को डायरेक्ट इक्विटी में निवेश करते हैं| जिससे कि आपकी निवेश राशि पर बाजार का सीधा असर होता है|
डेब्ट फण्ड उससे कम रिस्क वाले होते हैं, क्योंकि इसमें कुछ हिस्सा इक्विटी तथा कुछ हिस्से को फिक्स्ड इनकम सोर्स जैसे कर्ज के रूप में या बांड में निवेश होता है|
इसके बाद सबसे कम रिस्क लिक्विड फण्ड में होता है, क्योंकि इसमें आप के द्वारा निवेशित राशि गवर्नमेंट बॉन्ड, डिबेन्चर आदि में निवेश किया जाता है| अगर आप नहीं जानते कि बांड या डिबेन्चर क्या है तो इसकी बात हम आने वाली पोस्ट में करेंगे और म्यूच्यूअल फण्ड के टाइप भी समझेंगे।
इसलिए आप को अपनी रिस्क प्रोफाइल के हिसाब से अपना फण्ड चुनना होगा| परन्तु कम रिस्क के साथ- साथ आप को मिलने वाला रिटर्न भी कम हो जाता है।
और सबसे महत्वपूर्ण बात, आपको अपना निवेश एसआईपी के रूप में करना चाहिए| क्योंकि एसआईपी आप के निवेश को और सुरक्षित बनाती है| क्योंकि ये आपकी निवेशित राशि की एनएवी का औसत कर देती है| जिससे आपका रिस्क कम हो जाता है।
एसआईपी से निवेश करने से पहले आपको अपने निवेश का उद्देश्य (Goal) बनाना चाहिए| जिससे आप अपने निवेश की समय सीमा तय कर सकें, फिर उस समय सीमा के अनुसार एसआईपी कैलकुलेटर द्वारा अपनी एसआईपी में जाने वाली मासिक क़िस्त की गणना कर सकें|
आपको अपना निवेश शुरू करना चाहिए, जिससे आप एक सुरक्षित निवेश कर के अच्छा रिटर्न कमा सकेंगे।
अगर आप इक्विटी फण्ड में निवेश करने का सोच रहे हैं तो आप का टाइम होराइजन कम से कम 5 साल या उससे ज्यादा होना चाहिए, इससे कम टाइम है तो आप डेब्ट फण्ड या लिक्विड फण्ड में निवेश करें।
लेखक के बारे में – मैं अमित मीणा एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ, मैं कई सालो से फाइनेंसियल प्रोडक्ट पर काम कर रहा हूँ| जिससे फाइनेंस का अच्छा नॉलेज है| मुझे पर्सनल फाइनेंस तथा मनी मैटर्स पर ब्लॉग लिखना अच्छा लगता है| मैं अपने ब्लॉग के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को फाइनेंस के क्षेत्र में aware करना चाहता हूँ|