महर्षि वाल्मीकि: कैसे डाकू रत्नाकर बना वाल्मीकि
महर्षि वाल्मीकि की कहानी
Maharishi Valmiki Story in Hindi
एक बार रत्नाकर नाम का एक डाकू हुआ करता था। रत्नाकर अपने साथियों के साथ बीहड़ जंगल में रहता था और वहां से गुजरने वाला यात्रियों को लूट लिया करता था। दूर दूर के इलाकों में रत्नाकर के नाम का खौफ था।
एक बार की बात है, दिन छिप चुका था और थोड़ा अँधेरा हो रहा था, उस समय नारद मुनि उस जंगल में विचरण कर रहे थे कि तभी डाकू रत्नाकर ने अपने साथियों के साथ नारद जी को घेर लिया। नारद मुनि अपने आप में मग्न थे उनके मन में किसी प्रकार का कोई डर नहीं था।
रत्नाकर ने नारद जी से पूछा – सुनो ब्राह्मण, मैं रत्नाकर डाकू हूँ। क्या तुमको मुझसे भय नहीं लग रहा ?
नारद मुनि ने कहा – रत्नाकर मुझे किसी भी बात का भय नहीं है। मैं ना तो किसी असफलता से डरता हूँ और नाही मुझे अपने प्राणों का भय है, ना कल का और ना कलंक का…..लेकिन शायद तुम डरे हुए हो….
रत्नाकर ने गुस्से में कहा – मैं डरा हुआ नहीं हूँ, मुझे भला किसका डर है ?
नारद मुनि – अगर डरे नहीं हो तो इन जंगलों में छिप कर क्यों बैठे हो ? शायद तुम राजा से डरते हो या फिर प्रजा से
रत्नाकर – नहीं मैं किसी से भी नहीं डरता
नारद मुनि ने मुस्कुरा के कहा – तुम पाप करते हो और तुम पाप से ही डरते हो इसलिए तुम यहाँ छिप कर बैठे हो लेकिन शायद तुमको नहीं पता कि इस पाप के केवल तुम ही भागीदार हो। इसका दण्ड तुमको अकेले भुगतना होगा कोई भी तुम्हारा साथ नहीं देगा।
रत्नाकर ने गुस्से में कहा – तुम मुझे उकसा रहे हो ब्राह्मण….मैं ये सब काम अपने परिवार का पेट पलने के लिए करता हूँ और मेरी पत्नी, मेरे बच्चे, मेरे पिता सभी इस काम में मेरे साथ हैं।
नारद मुनि ने कहा – सुनो रत्नाकर, मुझे अपने प्राणों का भय नहीं है, तुम मुझे यहाँ पेड़ से बांध कर अपने घर जाओ और अपने सभी सगे सम्बन्धियों से पूछो कि क्या वह इस पाप में तुम्हारे साथ हैं?
रत्नाकर को नारद मुनि की बात सही लगी और वह उनको पेड़ से बाँधकर अपने घर की ओर चल दिया। घर जाकर उसने सबसे पहले अपनी पत्नी से पूछा कि मैं जो ये पाप करता हूँ क्या तुम उस पाप में मेरे साथ हो ? तो पत्नी ने उत्तर दिया कि स्वामी आप इस परिवार के पालक हैं ये तो आपका कर्तव्य है इस पाप में मेरा कोई हिस्सा नहीं है।
रत्नाकर बेचारा उदास सा होकर अपने पिता के पास पहुँचा और उनसे भी यही सवाल पूछा तो पिता ने कहा – बेटा ये तो तेरी कमाई है, इस पाप में हमारा कोई हिस्सा नहीं है।
डाकू रत्नाकर के प्राण सूख गए उसे ये सब सुनकर बहुत बड़ा धक्का लगा कि वह जिनके लिए ये पाप कर रहा है वो उसके पाप में भागीदार होने को तैयार नहीं हैं। रत्नाकर हताश होकर वापस नारद मुनि के पास गया और नारद मुनि के पाँव में गिर पड़ा और क्षमा मांगने लगा।
नारद मुनि ने उसे उठाया और सत्य का ज्ञान दिया। नारद मुनि ने कहा – सुनो रत्नाकर, इस धरती पर तुम जो भी कार्य करते हो, चाहे गलत या सही, सबका पाप और पुण्य तुमको ही मिलेगा। अपने सभी कुकृत्यों के लिए तुम ही जिम्मेदार हो। तुमने पुराने जीवन में जो कुछ पाप किये उसके जिम्मेदार भी तुम हो और आगे आने वाले जीवन में जो भी करोगे उसके भी जिम्मेदार अकेले तुम ही होंगे।
नारद मुनि ने रत्नाकर को सत्य से परिचित कराया और उन्हें “राम” का नाम जपने का उपदेश भी दिया। रत्नाकर से “राम” नाम लिया ही नहीं जाता था तो नारद मुनि ने उसे “मरा मरा” का उच्चारण करने को कहा और “मरा मरा” जपते हुए यही रत्नाकर राम नाम का जाप करने लगा और आगे जाकर यही रत्नाकर महर्षि “वाल्मीकि” के नाम ये प्रसिद्ध हुआ।
महर्षि वाल्मीकि आदिकाल के सबसे उच्च ऋषि हैं। वह संस्कृत के विद्वान कवि और दुनिया के सबसे बड़े ग्रन्थ “रामायण” के रचयिता हैं। महर्षि वाल्मीकि ने ही हिंदुओं के सबसे प्रसिद्ध ग्रन्थ “रामायण” को संस्कृत में लिखा।
सत्य ही कहा गया है “राम” नाम के इस शब्द में बहुत बल है जिसने डाकू को भी भारतवर्ष के सबसे प्रमुख ऋषि के रूप में परिवर्तित कर दिया।
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धन्यवाद!!!
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behatrin post likhi hai aapne. kafi jankari milti hain in sab ke bare me.
Great story.
Thanks.
बहुत ही प्रेरणादायक यह कथन है.. इसे पढ़कर बहुत अन्नान्दित हुआ. मनोज कुमार शर्मा, विद्यापुरी वार्ड न. २ सुपौल बिहार.
bahut hi inspirational & heart touching story hai…
lekin ise share kaise kr skte hai social sites pr
शानदार काम किया आपने।
रघुवीर पाटीदार
नीमच मध्यप्रदेश भारत
Such a grt story
Tysm
Valmiki is a Vedic Sage.
He wrote the first epic of the human civilization
to spread kundalini Yoga
Sundara Kanda is nothing but Kundalini Yoga
Trijata Swapna in Sundara Kanda is nothing but Gayathri Mantra
Sita is Aadi Paraa Shakthi .
Hanuman and Ravana are Kundalini Yogis
of Samaya and Kaula Paths.
Please read Shodasi : Secrets of the Ramayana
by Seshendra Sharma
Mai chandan singh nishad aap ka ye kahani mujhe bahut achhi lagi hai mai asha kar ta ho ki aap aise hi kahani upload kare dhanevad wish you wellthe
very nice story of shree guru valmiki ji maharaj ji ki iam proud of my guruji
Jai valmiki bhagwan ji
Jai valmiki bhagwan valmiki bhagwan ki Jai ho
Sanskrati ke mahan vidwan hindu dharam ki pavitra granth RAMAYAN ki rachna ki.
Ram Ka Naam Sb se bada hai
स्कूल में रत्नाकर को पढ़कर उद्वेलित हुए अब बाल्मीकि को पढ़ कर प्रभावित हो रहे हैं 🙏🏻 🙏🏻 🙏🏻 🙏🏻
Bohot Achhi Kahani Hai.