Soichiro Honda Success Story आवश्यकता ही आविष्कार की कुंजी है
Success Story of Soichiro Honda in Hindi
आवश्यकता ही आविष्कार की कुंजी है, ये कथन जापान के 22 वर्षीय नवयुवक सोइचिरो होंडा पर सटीक बैठती है| Automobile में इंजिनियरिंग करने के बाद वह नौकरी की तलाश कर रहे थे पर भाग्य कहीं भी साथ नहीं दे रहा था और एक छोटी सी नौकरी के लिए उन्हें दर दर भटकना पड़ रहा था|
परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी और पूरा भार उन्हीं के कंधों पर था| बहुत सारी कंपनियों ने उन्हें रिजेक्ट किया जिनमें से “Toyota Motor” भी एक थी|
बहुत संघर्ष के बाद एक मोटर मेकॅनिक की जॉब मिली लेकिन जीवन चलाने के लिए उनकी salary बहुत कम थी| 1928 में उन्होनें मोटर पार्ट्स की एक छोटी सी अपनी शॉप खोली| लेकिन बिजनिस में ज़्यादा पैसा ना लगा पाने के कारण उनका ये धंधा भी फ्लाप हो गया|
अब उनके पास कोई option नहीं बचा था, लेकिन SOICHIRO HONDA ने हिम्मत नहीं हारी और एक बार फिर से एक मोटर पार्ट manufacturing का बिजनिस शुरू किया जिसमें वो खुद ऑटो पार्ट बनाकर मार्केट में कोम्पनियों को बेचते थे|
कुछ दिन बाद जब काम अच्छा चलने लगा तो टोयोटा(TOYOTA) जैसी बड़ी कोम्पनियों को भी ये पार्ट्स सप्लाइ करने लगे| बाद में उन्होनें स्कूटर और बाइक की manufacturing भी घर पर ही स्टार्ट कर दी|
और बहुत जल्द 1948, में होंडा मोटर कॉर्पोरेशन(HONDA MOTOR CORPORATION) नाम से एक ऑर्गनाइज़ेशन स्थापित किया जहाँ ये खुद की कार मॅन्यूफॅक्चर करते थे|
अपनी मेहनत और लगन से 1960 में सोइचिरो होंडा के होंडा ऑर्गनाइज़ेशन ने टोयोटा जैसी बड़ी ब्रांड को पछाड़ कर दिया जिसने शुरुआती दिनो में नौकरी से रिजेक्ट कर दिया था|
1960 मे USA मार्केट में होंडा के शेयर टोयोटा के शेयर से ज़्यादा थे, और आज होंडा मोटर कॉर्पोरेशन किसी परिचय की मोहताज़ नहीं है|
मित्रों इस कहानी से यही सीख मिलती है कि कैसे एक बेरोज़गार इंसान दुनियाँ में इतनी बड़ी पहचान बना गया| किसी ने सही कहा की “प्रतिभा किसी चीज़ की मोहताज़ नहीं होती” और यही सच कर दिखाया सोइचिरो होंडा(SOICHIRO HONDA) ने|
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