शानदार HindiSoch.com का बड़ा कीर्तिमान – 1 लाख Pageviews
हिंदीसोच के सभी पाठकों और चहेतों के लिए ये बड़ी ही खुशखबरी की बात है। मुझे ये बताते हुए बड़ी ख़ुशी हो रही है कि 28 जुलाई 2016 को हिंदीसोच ने एक नया कीर्तिमान हासिल किया और ये कीर्तिमान था – “1 लाख pageviews का” हिंदीसोच पर पहली बार 28 जुलाई को 1 लाख pageviews हुए। आज से पहले कभी मैंने अपने और हिंदीसोच के सफर में बारे में नहीं बताया लेकिन आज मैं आपके साथ हिंदीसोच की एक इंटरेस्टिंग स्टोरी शेयर कर रहा हूँ – पढियेगा जरूर –
आज से करीब 5 साल पहले 2011 में मैंने अपना बी टेक् complete किया था उन दिनों भारत में मंदी का माहौल था। यही कारण था कि टॉपर स्टूडेंट होने के बावजूद भी मुझे अच्छी नौकरी नहीं मिल रही थी। मैंने इंटरमीडिएट में भी जिले में टॉप किया था।
नौकरी की तलाश में, 1 महीना बीता, दूसरा बीता, तीसरा बीता ऐसे ही धीरे धीरे 6 महीने गुजर गए लेकिन अच्छी नौकरी नहीं मिली। मैं आपको बता दूँ कि मैंने इलेक्ट्रॉनिक्स में बी टेक किया था और इन दिनों मैं काफी निराश रहने लगा था। कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ, बैंक से पढाई के लिए लोन लिया था, उसको भी चुकाना था और परिवार की आर्थिक स्थिति भी सुधारनी थी।
मैं खुद से काफी गुस्सा और निराश रहने लगा था। फिर एक दिन मैं इन्टरनेट पर कुछ मोटिवेशन के बारे में पढ़ रहा था तभी मेरी नजर अच्छीखबर(AKC) पर पड़ी। मुझे ये वेबसाइट बहुत अच्छी लगी, उस दिन मैंने akc की एक स्टोरी पढ़ी – “कैसे बना मैं World’s Youngest CEO” ये सुहास गोपीनाथ की कहानी को पढ़कर मुझे करंट सा लगा। मेरे अंदर इतना आत्मविश्वास भर गया कि मैं बता नहीं सकता।
मैंने सोचा जब एक 18 साल का लड़का अपनी कंपनी खोल सकता है तो मैं क्यों नहीं ? वो 8 th क्लास का बच्चा वेबसाइट बना सकता है तो मैं क्यों नहीं ? मैंने तो बी टेक किया है। यकीन मानिये इस कहानी का जूनून मुझ पर इस कदर सवार हुआ कि मैंने इलेक्ट्रॉनिक्स में नौकरी ढूँढना छोड़कर सुहास गोपीनाथ की तरह सॉफ्टवेर फिल्ड में नौकरी ढूँढना शुरू कर दिया। शुरुआत में कई टीचर और दोस्तों में मुझे चेतावनी भी दी कि मैंने इलेक्ट्रॉनिक में इंजीनियरिंग की है तो इसी में नौकरी करनी चाहिए। अपना फिल्ड छोड़कर सॉफ्टवेर फिल्ड में जाना घातक हो सकता है।
लेकिन गोपाल मिश्रा जी की उस कहानी ने मेरे अंदर इतना जूनून पैदा कर दिया कि मैंने सॉफ्टवेर में ही कैरियर बनाने का फैसला ले लिया। अपनी लाइफ का गियर बदला और जूनून मुझ पर इस तरह हावी था कि पहले ही इंटरव्यू में मुझे एक सॉफ्टवेर कंपनी में अच्छी नौकरी मिल गयी। कहाँ मैं 6 महीने से नौकरी तलाश कर रहा था और अब एक झटके में अच्छी नौकरी मिल गयी। इसके लिए मैं गोपाल जी को दिल से धन्यवाद देना चाहूंगा क्योंकि मैंने कभी सोचा भी ना था कि मैं इलेक्ट्रॉनिक फिल्ड छोड़कर सॉफ्टवेर में कैरियर बनाऊंगा।
फिर मैं अपनी जॉब में व्यस्त हो गया। वक्त भी पंख लगाकर उड़ता गया, अक्टूबर साल 2013 में मैं achhikhabar.com पढ़ रहा था, तब मुझे ये नहीं पता था कि इस वेबसाइट से कैसे कमाई होती है? कितनी कमाई होती है? लेकिन मेरे मन में एक ख्याल आया कि क्यों ना मैं भी akc की तरह लोगों को प्रेरित करूँ, क्या पता मेरी वजह से भी लोगों के जीवन में बदलाव आने लगे। बस यही सोचकर मैंने hindisoch.com डोमेन खरीदा और लग गया लोगों को मोटीवेट करने में।
सच कहूँ तो मैंने ये वेबसाइट पैसा कमाने के लिए नहीं बनाई थी, मुझे तो पता भी नहीं था कि इससे कैसे पैसे कमाए जायेंगे। मेरा लक्ष्य था akc की तरह लोगों को positive बनाना। यही कारण है कि हिंदीसोच की शुरुआत बहुत धीमी रही और डेढ़ साल बाद भी हिंदीसोच का ट्रैफिक मात्र 500-600 pageviews ही था।
फिर एक दिन मैंने akc पर पढ़ा कि adsense ने हिंदी भाषा को सपोर्ट करना शुरू कर दिया है। एक बार फिर akc ने मेरी लाइफ में गियर डाला और हिंदीसोच को एक नया जन्म दिया। जी हाँ, यूँ तो हिंदीसोच डोमेन मैंने 2013 में खरीद लिया था लेकिन हिंदीसोच का असली जन्म जनवरी 2015 में हुआ जब हिंदीसोच को गूगल एडसेंस से approval मिला। मैं जनवरी 2015 में हिंदीसोच का असली जन्म मानता हूँ।
फिर मैंने अपनी पूरी ताकत और लगन से हिंदीसोच पर काम करना शुरू किया। शुरुआत में ये केवल एक काम था लेकिन ये अब मेरा passion बन चुका था। और आज करीब डेढ़ साल में ही हिंदीसोच पर 1 लाख pageviews होने लगे हैं।
जी हाँ! शुरुआत में डेढ़ साल तक हिंदीसोच पर मात्र 500 pageviews होते थे और अगले डेढ़ साल में हिंदीसोच 1 लाख pageviews तक पहुँच गया। आज रोजाना मुझे ढेरों sms, कॉल्स और ईमेल आते हैं और लोग मुझसे प्रेरित होकर धन्यवाद देते हैं। ये क्षण वास्तव ख़ुशी देने वाले होते हैं। मैं इसका श्रेय काफी हद तक akc को देना चाहूंगा जिसकी वजह से मेरी लाइफ में कई सकारात्मक चीजें आयीं। धन्यवाद गोपाल जी
आज हिंदीसोच से प्रेरित होकर कई लोगों ने भी ब्लॉग बनाये हैं और मैं उन सबके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ। बहुत सारे लोग टॉप हिंदी ब्लॉग की सूची में हिंदीसोच का नाम लिखते हैं ये देखकर बहुत ही हर्ष होता है।
मैं आशा करता हूँ कि आप सभी लोग इसी तरह हिंदीसोच से जुड़े रहेंगे और हिंदीसोच ऐसे ही आप सबको पॉजिटिव बनाता रहेगा।
आगे क्या है लक्ष्य – मैं अभी भी गुड़गांव में एक सॉफ्टवेर कंपनी में काम कर रहा हूँ और मैं आने वाले 2 -3 महीने में अपनी इस जॉब को अलविदा कहने वाला हूँ और इसके बाद मैं पूरी तरह एक प्रोफेशनल ब्लॉगर बन जाँऊगा। मुझे पूरी उम्मीद है कि हिंदीसोच आगे भी कई और बड़े कीर्तिमान स्थापित करेगी।
कैसा रहा अनुभव – ब्लॉग्गिंग को लोग अभी एक कॅरियर की तरह नहीं मानते लेकिन मेरा अनुभव कहता है कि इससे मजेदार फिल्ड दूसरा हो ही नहीं सकता। ये वास्तव में बहुत इंटरेस्टिंग फिल्ड है और आने वाले समय में ब्लॉग्गिंग और भी बड़े स्तर पर फ़ैल जाएगी ऐसी मुझे उम्मीद है।
क्या है रिस्क – 90% ब्लॉगर की इनकम साधन एडसेंस है और एडसेंस एक बहुत ही sensitive नेटवर्क है। यहाँ आपकी एक गलती भी माफ़ नहीं की जाएगी, ये ब्लॉग्गिंग का सबसे बड़ा रिस्क है और एक बार बैन होने के बाद एडसेंस कभी दुबारा उस वेबसाइट पर एडसेंस नहीं देता।
वैसे एडसेंस कमाई का एक बढ़िया साधन है ये भी कहना बिलकुल गलत नहीं है। और ब्लॉग्गिंग एक ऐसा मजेदार फिल्ड है जिसे टेक और नॉन टेक सभी तरह के लोग कर सकते हैं और हिंदीसोच की तरह अच्छी कमाई कर सकते हैं।
so keep smiling and enjoy!!!!!!!