Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi | हरिवशं राय बच्चन की कविताएँ

September 22, 2020

Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi for Children

Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।

मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।

आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।

मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।

मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

– श्री हरिवंशराय बच्चन की कविता(Poems of Harivansh Rai Bachchan)

हरिवंशराय बच्चन जी की ये कविता मैंने नेट पर एक वेबसाइट से ली है। इस कविता के लिए कवि की जितनी तारीफ की जाये उतनी कम है। हर एक लाइन मोतियों की तरह जड़ी है। इसे पढ़ने के बाद मन को बहुत साहस मिलता है। मैं हरिवंश राय बच्चन जी को इस प्रेरक कविता के लिए बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ जिनकी कविता हर पढ़ने वाले को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। दोस्तों इस कविता को एक बार ध्यान ने जरूर पढ़ना मेरा वादा है कि आपको नयी ऊर्जा मिलेगी। कविता कैसी लगी, ये नीचे कॉमेंट में जरूर लिखें।
धन्यवाद!!!!

कई लोग इस रचना को हरिवंशराय बच्चन जी द्वारा रचित मानते हैं। लेकिन श्री अमिताभ बच्चन ने अपनी एक फ़ेसबुक पोस्ट में स्पष्ट किया है कि यह रचना सोहनलाल द्विवेदी जी की है।

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Aa Rahi Ravi Ki Sawai - Harivansh Rai Bachchan's Poem

आ रही रवि की सवारी!

नव किरण का रथ सजा है,
कलि-कुसुम से पथ सजा है,
बादलों से अनुचरों ने स्वर्ण की पोशाक धारी!
आ रही रवि की सवारी!

विहग बंदी और चारण,
गा रहे हैं कीर्ति गायन,
छोड़कर मैदान भागी तारकों की फौज सारी!
आ रही रवि की सवारी!

चाहता, उछलूँ विजय कह,
पर ठिठकता देखकर यह,
रात का राजा खड़ा है राह में बनकर भिखारी!
आ रही रवि की सवारी

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Harivansh Rai Bachchan Poems in Hindi

देखो, टूट रहा है तारा – हरिवंशराय बच्चन

नभ के सीमाहीन पटल पर
एक चमकती रेखा चलकर
लुप्त शून्य में होती-बुझता एक निशा का दीप दुलारा!
देखो, टूट रहा है तारा!

हुआ न उडुगन में क्रंदन भी,
गिरे न आँसू के दो कण भी
किसके उर में आह उठेगी होगा जब लघु अंत हमारा!
देखो, टूट रहा है तारा!

यह परवशता या निर्ममता
निर्बलता या बल की क्षमता
मिटता एक, देखता रहता दूर खड़ा तारक-दल सारा!
देखो, टूट रहा है तारा!

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Poem in Hindi By Harivansh Rai Bachchan

विश्व सारा सो रहा है – हरिवंशराय बच्चन

हैं विचरते स्वप्न सुंदर,
किंतु इनका संग तजकर,
व्योम–व्यापी शून्यता का कौन साथी हो रहा है?
विश्व सारा सो रहा है!

भूमि पर सर सरित् निर्झर,
किंतु इनसे दूर जाकर,
कौन अपने घाव अंबर की नदी में धो रहा है?
विश्व सारा सो रहा है!

न्याय–न्यायधीश भू पर,
पास, पर, इनके न जाकर,
कौन तारों की सभा में दुःख अपना रो रहा है?
विश्व सारा सो रहा है!

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Shri Harivansh Rai Bachchan Poem - Ruke Na Tu

रुके न तू, थके न तू – हरिवंशराय बच्चन

धरा हिला, गगन गुँजा
नदी बहा, पवन चला
विजय तेरी, विजय तेरी
ज्योति सी जल, जला

भुजा–भुजा, फड़क–फड़क
रक्त में धड़क–धड़क

धनुष उठा, प्रहार कर
तू सबसे पहला वार कर
अग्नि सी धधक–धधक
हिरन सी सजग सजग

सिंह सी दहाड़ कर
शंख सी पुकार कर

रुके न तू, थके न तू
झुके न तू, थमे न तू
सदा चले, थके न तू
रुके न तू, झुके न तू

∼ हरिवंश राय बच्चन

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