गीता के उपदेश Geeta Saar- Bhagwat Geeta Updesh in Hindi
श्रीमद्भागवत गीता के उपदेश : “भागवद गीता” हिन्दुओं का सर्वश्रष्ठ धर्मग्रंथ है| महाभारत के युद्ध के समय जब अर्जुन अपने प्रियजनों को युद्ध में अपने विरुद्ध खड़ा देखकर युद्ध करने से पीछे हटते हैं, तब भगवान् कृष्ण अपने भक्त तथा सखा अर्जुन को जीवन मरण, लोक परलोक के बारे में विस्तार से बताते हैं|
श्री कृष्णा की यही वाणी, धार्मिक पुस्तक “भागवद गीता” के रूप में हमारा मार्गदर्शन करती है|
सजीव – निर्जीव, जीवन – मृत्यु, जन्म – पुनर्जन्म, लोक -परलोक, स्वर्ग – नरक या यूँ कहें कि जीवन की हर समस्या का निवारण भागवद गीता में मौजूद है| कृष्णा खुद कहते हैं कि जो व्यक्ति पूर्ण भक्तिभाव से मेरा ध्यान करता है और जो मुझे खुद में महसूस करता है| उसे फिर जीवन मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है, वह मेरे धाम का निवासी हो जाता है|
भागवद गीता के कुछ मुख्य श्लोक और उनका हिंदी अनुवाद हमने यहाँ लिखा है ताकि आप सभी लोग भी गीता के उपदेशों को पढ़ें और जान सकें कि उस परमपिता परमेश्वर को पाने का सही मार्ग क्या है ?
भगवत गीता सार – Geeta Saar in Hindi
यह बड़े ही शोक की बात है कि हम लोग बड़ा भारी पाप करने का निश्चय कर बैठते हैं तथा राज्य और सुख के लोभ से अपने स्वजनों का नाश करने को तैयार हैं।
– अर्जुन
हे अर्जुन विषम परिस्थितियों में कायरता को प्राप्त करना, श्रेष्ठ मनुष्यों के आचरण के विपरीत है। ना तो ये स्वर्ग प्राप्ति का साधन है और ना ही इससे कीर्ति प्राप्त होगी।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
कर्म ही पूजा है।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
हे अर्जुन, तुम ज्ञानियों की तरह बात करते हो, लेकिन जिनके लिए शोक नहीं करना चाहिए, उनके लिए शोक करते हो। मृत या जीवित, ज्ञानी किसी के लिए शोक नहीं करते।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
जैसे इसी जन्म में जीवात्मा बाल, युवा और वृद्ध शरीर को प्राप्त करती है। वैसे ही जीवात्मा मरने के बाद भी नया शरीर प्राप्त करती है। इसलिए वीर पुरुष को मृत्यु से घबराना नहीं चाहिए।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
न यह शरीर तुम्हारा है, न तुम शरीर के हो। यह अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश से मिलकर बना है और इसी में मिल जायेगा। परन्तु आत्मा स्थिर है – फिर तुम क्या हो?
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
आत्मा अजर अमर है। जो लोग इस आत्मा को मारने वाला या मरने वाला मानते हैं, वे दोनों ही नासमझ हैं आत्मा ना किसी को मारता है और ना ही किसी के द्वारा मारा जा सकता है।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
आत्मा ना कभी जन्म लेती है और ना मरती ही है। शरीर का नाश होने पर भी इसका नाश नहीं होता।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
तुम अपने आपको भगवान को अर्पित करो। यही सबसे उत्तम सहारा है जो इसके सहारे को जानता है वह भय, चिन्ता, शोक से सर्वदा मुक्त रहता है।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
जैसे मनुष्य अपने पुराने वस्त्रों को उतारकर दूसरे नए वस्त्र धारण करता है, वैसे ही जीव मृत्यु के बाद अपने पुराने शरीर को त्यागकर नया शरीर प्राप्त करता है।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
शस्त्र इस आत्मा को काट नहीं सकते, अग्नि इसको जला नहीं सकती, जल इसको गीला नहीं कर सकता और वायु इसे सुखा नहीं सकती।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
जन्म लेने वाले की मृत्यु निश्चित है और मरने वाले का जन्म निश्चित है। अतः जो अटल है उसके लिए तुम्हें शोक नहीं करना चाहिए
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुम मृत्यु समझते हो, वही तो जीवन है। एक क्षण में तुम करोड़ों के स्वामी बन जाते हो, दूसरे ही क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो। मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है, तुम सबके हो।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
हे अर्जुन! सभी प्राणी जन्म से पहले अप्रकट थे और मृत्यु के बाद फिर अप्रकट हो जायेंगे। केवल जन्म और मृत्यु के बीच प्रकट दिखते हैं, फिर इसमें शोक करने की क्या बात है?
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
सम्मानित व्यक्ति के लिए अपमान मृत्यु से भी बढ़कर है।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
जो हुआ, वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है, जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा। तुम भूत का पश्चाताप न करो। भविष्य की चिन्ता न करो। वर्तमान चल रहा है।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
युद्ध में मरकर तुम स्वर्ग जाओगे या विजयी होकर पृथ्वी का राज्य भोगोगे; इसलिए हे कौन्तेय, तुम युद्ध के लिए निश्चय करके खड़े हो जाओ
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
सुख – दुःख, लाभ – हानि और जीत – हार की चिंता ना करके मनुष्य को अपनी शक्ति के अनुसार कर्तव्य -कर्म करना चाहिए। ऐसे भाव से कर्म करने पर मनुष्य को पाप नहीं लगता
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
खाली हाथ आये और खाली हाथ वापस चले। जो आज तुम्हारा है, कल और किसी का था, परसों किसी और का होगा। तुम इसे अपना समझ कर मग्न हो रहे हो। बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दु:खों का कारण है।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
जिन्हें वेद के मधुर संगीतमयी वाणी से प्रेम है, उनके लिए वेदों का भोग ही सब कुछ है।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो? तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया? तुमने क्या पैदा किया था, जो नाश हो गया? न तुम कुछ लेकर आये, जो लिया यहीं से लिया। जो दिया, यहीं पर दिया। जो लिया, इसी (भगवान) से लिया। जो दिया, इसी को दिया।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
केवल कर्म करना ही मनुष्य के वश में है, कर्मफल नहीं। इसलिए तुम कर्मफल की आशक्ति में ना फंसो तथा अपने कर्म का त्याग भी ना करो
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
जब तुम्हारी बुद्धि मोहरूपी दलदल को पार कर जाएगी, उस समय तुम शास्त्र से सुने गए और सुनने योग्य वस्तुओं से भी वैराग्य प्राप्त करोगे।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
दुःख से जिसका मन परेशान नहीं होता, सुख की जिसको आकांक्षा नहीं होती तथा जिसके मन में राग, भय और क्रोध नष्ट हो गए हैं, ऐसा मुनि आत्मज्ञानी कहलाता है।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
हे कुंतीनंदन! संयम का प्रयत्न करते हुए ज्ञानी मनुष्य के मन को भी चंचल इन्द्रियां बलपूर्वक हर लेती हैं। जिसकी इन्द्रियां वश में होती हैं, उसकी बुद्धि स्थिर होती है।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
विषयों का चिंतन करने से विषयों की आसक्ति होती है। आसक्ति से इच्छा उत्पन्न होती है और इच्छा से क्रोध होता है।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
क्रोध से सम्मोहन और अविवेक उत्पन्न होता है, सम्मोहन से मन भृष्ट हो जाता है। मन नष्ट होने पर बुद्धि का नाश होता है और बुद्धि का नाश होने से मनुष्य का पतन होता है।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो? कौन तुम्हें मार सक्ता है? आत्मा ना पैदा होती है, न मरती है।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
शांति से सभी दुःखों का अंत हो जाता है और शांतचित्त मनुष्य की बुद्धि शीघ्र ही स्थिर होकर परमात्मा से युक्त हो जाती है।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
जो कुछ भी तू करता है, उसे भगवान को अर्पण करता चल। ऐसा करने से सदा जीवन-मुक्त का आनंद अनुभव करेगा।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
जैसे जल में तैरती नाव को तूफान उसे अपने लक्ष्य से दूर ले जाता है, वैसे ही इन्द्रिय सुख मनुष्य को गलत रास्ते की ओर ले जाता है।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
जो मनुष्य सब कामनाओं तो त्यागकर, इच्छा रहित, ममता रहित तथा अहंकार रहित होकर विचरण करता है, वही शांति प्राप्त करता है।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
मनुष्य कर्म को त्यागकर कर्म के बंधन से मुक्त नहीं होता। केवल कर्म के त्याग मात्र से ही सिद्धि प्राप्त नहीं होती। कोई भी मनुष्य एक क्षण भी बिना कर्म किये नहीं रह सकता।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
श्रेष्ठ मनुष्य जैसा आचरण करता है, दूसरे लोग भी वैसा ही आचरण करते हैं। वह जो प्रमाण देता है, जनसमुदाय उसी का अनुसरण करते हैं।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
जो मनुष्य बिना आलोचना किये, श्रद्धापूर्वक मेरे उपदेश का सदा पालन करते हैं, वे कर्मों के बंधन से मुक्त हो जाते हैं।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
इन्द्रियां, मन और बुद्धि काम के निवास स्थान कहे जाते हैं। यह काम इन्द्रियां, मन और बुद्धि को अपने वश में करके ज्ञान को ढककर मनुष्य को भटका देता है।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
इन्द्रियां शरीर से श्रेष्ठ कही जाती हैं, इन्द्रियों से परे मन है और मन से परे बुद्धि है और आत्मा बुद्धि से भी अत्यंत श्रेष्ठ है।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
हे अर्जुन, मेरे और तुम्हारे बहुत सारे जन्म हो चुके हैं, मैं सबको जानता हूँ परन्तु तुम नहीं जानते|
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
हे अर्जुन, जब जब संसार में धर्म हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब – तब अच्छे लोगों की रक्षा, दुष्टों का संहार और धर्म की स्थापना करने के लिए मैं हर युग में अवतरित होता हूँ|
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
हे अर्जुन, मेरे जन्म और कर्म दिव्य हैं, इसे जो मनुष्य भली भांति जान लेता है, उसका मरने के बाद पुनर्जन्म नहीं होता तथा वह मेरे लोक, परमधाम को प्राप्त होता है।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
हे अर्जुन, जो भक्त जिस किसी भी मनोकामना से मेरी पूजा करते हैं, मैं उनकी मनोकामना की पूर्ति करता हूँ।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
जो आशा रहित है, जिसके मन और इन्द्रियां वश में हैं, जिसने सब प्रकार के स्वामित्व का परित्याग कर दिया है, ऐसा मनुष्य शरीर से कर्म करते हुए भी पाप को प्राप्त नहीं होता और कर्म बंधन से मुक्त हो जाता है।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
अपने आप जो कुछ भी प्राप्त हो, उसमें संतुष्ट रहने वाला, ईर्ष्या से रहित, सफलता और असफलता में समभाव वाला कर्मयोगी कर्म करता हुआ भी कर्म के बन्धनों से नहीं बंधता है।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
हे अर्जुन, जैसे प्रज्वलित अग्नि लकड़ी को जला देती है, वैसे ही ज्ञानरूपी अग्नि कर्म के सारे बंधनों को भस्म कर देती है।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
हे अर्जुन, तुम सदा मेरा स्मरण करो और अपना कर्तव्य करो। इस तरह मुझ में अर्पण किये मन और बुद्धि से युक्त होकर निःसंदेह तुम मुझको ही प्राप्त होगे|
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
सभी प्राणी मेरे लिए बराबर हैं, न मेरा कोई अप्रिय है और न प्रिय; परन्तु जो श्रद्धा और प्रेम से मेरी उपासना करते हैं, वे मेरे समीप रहते हैं और मैं भी उनके निकट रहता हूँ।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
यदि कोई बड़े से बड़ा दुराचारी भी अनन्य भक्ति भाव से मुझे भजता है, तो उसे भी साधु ही मानना चाहिए और वह शीघ्र ही धर्मात्मा हो जाता है तथा परम शांति को प्राप्त होता है।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
हे अर्जुन, तुम यह निश्चयपूर्वक सत्य मानो कि मेरे भक्त का कभी भी विनाश या पतन नहीं होता है।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
मैं ही सबकी उत्पत्ति का कारण हूँ और मुझसे ही जगत का होता है।
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
काम, क्रोध और लोभ, ये जीव को नरक की ओर ले जाने वाले तीन द्वार हैं, इसलिए इन तीनों का त्याग करना चाहिए|
– (Geeta Saar) Geeta Updesh
Jivan ke udhar ke yahi dvar hai jo insaan ko sahi maynemai insaan bana saktA HAI.
ℕ𝕚𝕔𝕖
jab kabhi bhi mai kisi sankat me padta hu athva kisi sandeh me padta hu to mai shree madd bhagvat geeta ki sharan me jata hu .is maha updeshak granth se meri sabhi chintaye samaapt ho jati hai. very very thanks to “geeta”
Superb,,,
Have a nice day
Jivan me ye sab uterna chahiye
It is Mathematical exitute.Who guide human being .
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Request you to include whatever humanism based good litrature is found regardless of any religion or personality.
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Correct . Jeevan m kuch bi permanent nahi h to fir kyo sab ichha rkhte h . Kuch bi kro karm hai. Indriyo ko vash m rkho . Sb kuch jeevan ka hissa hai . Dukh or sukh dono ko hona ahem hai . Sbko marna hai ek din fir is bhed chal me kyo pdte ho. Jiske paas pesa hai vo indriyo ko sukh deta hai . Lekin jisko sab pta hai gyani hai uski indriya phle se hi uske control me hai . Sukh dukh sman avastha.
Geeta padhne wale waqei satya ke marg par chalta hai !
Geeta padne se manushya ke jeevan me badalav aata hai aur moksh ki prapti ka rasta milata hai jai shri krishna
Geeta manusye ko is dharti pr biche Maya jaal ka bodh krati hai ise padhne wala santi ko prapt hota hai…
Jai shree krishna
bhut achhi baate hai in sab se hame bhut achhi sikh milti hai supper
grishma Santhosh,
Geetha updesh ke anusaar agar sub chalne lage toh sabka jeevan udhar ho jayega. sub seedhe ishwar ko aapne pass hi payenge.
very nice
VERY NICE : I AM REALY IMPRESS
nice
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आज आप के पेज पर गीता का ज्ञान प्राप्त करके आत्मा खुश हो गया
जय श्री कृष्ण
Yes, I feel better.
Thank you
Super
Inspiring thoughts : Peace of mind and bringing out of groups of jinx
Very nice inspiration
aapne gita ke bahut hi sundar quotes bataye hai