सफल होना है तो छोड़िए बहाने बनाना | Self Help Article for Motivation in Life in Hindi
Self Help Article for Motivation in Life in Hindi
सफल होना है तो छोड़िए बहाने बनाना
याद है जब हम छोटे थे तो बात बात में बहाने बनाते थे| स्कूल में मार से बचने के लिए बहाने, मम्मी की डांट से बचने के लिए बहाने| खुद को बचाने के लिए ना जाने हमने कितनी बार नए नए बहाने बनाए लेकिन बड़े होकर वही बहाने बनाने की आदत आज हमें आगे बढ़ने से रोक रही है| हमने हर बात में बहाना बनाना सीख लिया है, खुद को बचाना सीख लिया है|
स्कूल से घर आके पूरी शाम हम दोस्तों के साथ मस्ती करते थे फिर और अगले दिन स्कूल में आकर बोलते थे – हमने होम वर्क कर लिया था लेकिन कॉपी घर रह गई|
स्कूल में मार्क्स कम आए तो – टीचर स्कूल में सही से नहीं पढ़ाते थे, मेरी बुक खो गई थी ,फिर बहाना
फिर जब हम बड़े हो जाते हैं तो ये आदत अब भी हमारा पीछा नहीं छोड़ती| हम कभी भी अपनी गलती नहीं मानते हमेशा अपनी गलती के लिए दूसरों को दोषी बता देते हैं और खुद बहाना बना कर बच जाते हैं|
ऑफिस के लिए लेट हुए तो – ट्रैफिक का बहाना,,, “मेरी कोई गलती नहीं है, ट्रैफिक था इसलिए लेट हुआ ”
बिज़निस में फेल हुए तो – किस्मत का बहाना,,, “मेरी कोई गलती नहीं है, ये साली किस्मत ही खराब है”
कम्पटीशन में फेल हुए तो – मेरे हालात अच्छे नहीं थे,,,, “मेरी कोई गलती नहीं है यार मेरे उस समय हालात अच्छे नहीं थे”
अच्छी नौकरी नहीं मिली तो – यार माँ बाप ने ज्यादा पढ़ाया नहीं,,,,”मेरी कोई गलती नहीं है माँ बाप ने ज्यादा पढ़ाया होता तो आज अच्छी नौकरी होती”
कभी किसी से लड़ाई हुई तो – मैंने तो कुछ किया ही नहीं,,,, “मेरी तो कोई गलती थी ही नहीं मैंने कुछ नहीं किया वही लड़ रहा था”
बहाने बनाते बनाते हम ऐसे हो गए हैं कि हमें अपनी गलतियां दिखाई ही नहीं देती| हम सारा दोष दूसरों पर डाल के अपना पल्ला झाड़ देते हैं कि मेरी कोई गलती नहीं|
सच कहूं तो ये बहाना आपको सफल होने से रोक रहा है| जो भी गलती हुई उसमें खुद की गलती मानिए और अपनी कमियों को सुधारिये| कमियों पर पर्दा डालकर आप खुद की कमियां कभी दूर नहीं कर पाएंगे| अपनी कमियों को दूर करना है तो खुद की गलती मानिए तभी आप खुद में सुधार कर पाएंगे| जब आप खुद की गलती मानेंगे ही नहीं तो सुधार कभी होगा ही नहीं और आप कल भी असफल थे और कल भी असफल ही होंगे क्यूंकि आप तो बहाने बनाने में लगे हैं|
हालात, किस्मत या दूसरों को दोष मत दीजिये और अंत में मैं यही कहना चाहूँगा कि –
“नजर को बदलो तो नजारे बदल जाते हैं
सोच को बदलो तो सितारे बदल जाते हैं
कश्तियाँ बदलने की जरूरत नहीं
दिशा को बदलो किनारे खुद ब खुद बदल जाते हैं”
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