रक्षाबंधन पर निबंध Raksha Bandhan Essay in Hindi
Short Raksha Bandhan Essay in Hindi
प्रस्तुत है रक्षाबंधन पर निबंध, रक्षाबंधन भाई बहन के प्रेम का एक ऐसा बंधन है जिसमें बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देता है|
भारत त्यौहारों का देश है और रक्षाबंधन भारत के सबसे प्रमुख त्यौहारों में से एक है| भारत में रक्षाबंधन को मनाने की प्रथा सदियों से चली आयी है और इससे जुड़ी कई पौराणिक कहानियां भी हैं|
आज के इस भागदौड़ भरे माहौल में ये त्यौहार ही हम सबको मिलने का अवसर देते हैं और रक्षाबंधन जैसा त्यौहार भाई और बहन के रिश्ते को और ज्यादा प्रेमपूर्ण और सुहार्दपूर्ण बनाता है|
कब शुरू हुई रक्षाबंधन की प्रथा –
रक्षाबंधन का त्यौहार श्रावणमास की पूर्णिमा को मनाया जाता है| इस त्यौहार को मनाने के पीछे कई प्रसंग हैं –
1. जब श्री कृष्ण ने शिशुपाल का वध किया तो उनके हाथ में हल्की चोट लग गयी और खून बहने लगा| अर्जुन की पत्नी द्रौपदी श्री कृष्ण की मुंहबोली बहन थीं, जब द्रौपदी ने देखा कि श्री कृष्ण के हाथ से रक्त बह रहा है तो उन्होंने अपनी साड़ी से थोड़ा सा चीर फाड़कर कृष्ण के हाथ पर पट्टी की तरह बांध दिया|
उस दिन श्रावणमास की पूर्णिमा थी| तब श्री कृष्ण ने द्रौपदी को रक्षा का वचन दिया था| तभी से श्रावणमास की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन बनाने की प्रथा चल पड़ी|
2. एक अन्य प्रसंग के अनुसार, राजा बलि ने इंद्रलोक पर आक्रमण करके सभी देवताओं को हरा दिया और इंद्र के सिंघासन पर कब्ज़ा कर लिया| तब इंद्रदेव की पत्नी ने भगवान् विष्णु की प्रार्थना की| भगवान विष्णु बौना वामन का अवतार लेकर राजा बलि के पास गए| राजा बलि संसार के सबसे बड़े दानी माने जाते थे| बौना बामन के रूप में भगवान विष्णु ने बलि से तीन पग भूमि देने का वचन लिया| बौना बामन ने तीन पगों में ही धरती, आकाश और पाताल को नाप लिया| इसके बाद बौना बामन ने राजा बलि के सर पर पैर रखकर उन्हें रसातल में भेज दिया| रसातल में बलि ने भगवान विष्णु की कठोर उपासना की और विष्णु जी से वचन लिया कि वह सदैव उनके साथ ही रहें| इस वचन से माता लक्ष्मी परेशान हो गयीं क्यूंकि विष्णु जी आप सदैव बलि के साथ रहने लगे थे| तब माता लक्ष्मी ने राजा बलि की कलाई पर एक रक्षा सूत्र बांधा और उनसे एक उपहार माँगा| माँ लक्ष्मी ने उपहार में राजा बलि से भगवान् विष्णु को मांग लिया| यह श्रावण मास की पूर्णिमा का ही दिन था तब से रक्षाबंधन मनाने की प्रथा आरम्भ हो गयी|
इस तरह के कुछ अन्य प्रसंग और मान्यताएं भी हैं|
कैसे मनाते हैं रक्षाबंधन –
रक्षाबंधन के त्यौहार के दिन सभी बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और बदले में भाई उनको कोई अच्छा सा उपहार देते हैं और उनकी रक्षा का वचन देते हैं|
जिन बहनों की शादी हो चुकी होती है वह अपने भाइयों को राखी बांधने अपने मायके आती हैं| कई बार खुद भाई भी अपनी बहनों से मिलने उनके ससुराल चले जाते हैं और जिन बहनों की शादी नहीं हुई है वह तो अपने भाई के साथ घर पर ही होती हैं और कई दिन पहले से रक्षाबंधन के लिए अच्छी सी राखी ढूंढना शुरू कर देती हैं| भाई भी अपनी बहनों के लिए अच्छे गिफ्ट और उपहारों की तलाश में लग जाते हैं|
इन दिनों मार्किट में काफी चहल पहल बढ़ जाती है, चारों ओर रंग बिरंगी राखी से सजी दुकानें और उपहारों से सजे स्टोर बेहद सुन्दर लगते हैं|
रक्षाबंधन के दिन, बहन और भाई सुबह नहाधोकर नए कपड़े पहनते हैं| बहन एक पूजा की थाली सजाती है जिसमें मिठाई, रोली, चावल, राखी आदि चीज़ें होती हैं| घर पर एक उचित स्थान पर बैठकर बहन अपने भाई की आरती करती है और भाई के दाएं हाथ की कलाई पर राखी बांधती है, भाई को तिलक लगाती है और कुछ चावल के दाने भी सर पर डालती हैं| इसके बाद भाई को मिठाई खिलाती हैं| अब भाई अपनी बहन को कुछ उपहार जैसे पैसे, घड़ी या कोई अच्छा गिफ्ट देते हैं और बहन की रक्षा का वचन देते हैं|
इस तरह रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है|
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