गणेश चतुर्थी निबंध हिंदी में | Ganesh Chaturthi Information in Hindi
Shree Ganesh Chaturthi Information in Hindi
गणेश चतुर्थी पर निबंध में आप गणेश चतुर्थी पूजा विधि, गणेश चतुर्थी का महत्व और गणेश जी की पौराणिक कहानी पढ़ सकते हैं| श्री गणेश भगवान की पूजा के बिना हर पूजा अधूरी मानी जाती है| श्री गणेश कष्टों को हरने वाले और मंगलकारी हैं उनकी कृपा से सब बाधाएं दूर हो जाती हैं|
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गणेश चतुर्थी पर निबंध – Ganesh Chaturthi Essay in Hindi
भारतदेश में गणेश चतुर्थी का त्यौहार भाद्रपद माह (अगस्त और सितंबर) में शुक्ल पक्ष में चतुर्थी में मनाया जाता है| यह पर्व श्री गणेश जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है| गणेश चतुर्थी 11 दिन का एक विशाल महोत्सव होता है जिसे पूरे भारतवर्ष में हर्सोल्लास से मनाया जाता है| खासकर महाराष्ट्र में यह पर्व सबसे ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता है| यह वहां का सबसे बड़ा त्यौहार होता है|
गणेश चतुर्थी के दिन बाजारों में बहुत चहल पहल रहती है| श्री गणेश की सुंदर मूर्तियां और उनके चित्र बाजारों में बिकते हैं| मिटटी से बनी श्री गणेश की ये प्रतिमायें बहुत भव्य होती हैं|
लोग गणेश चतुर्थी के दिन गणेश भगवान की प्रतिमा को अपने घरों में उचित स्थान पर स्थापित करते हैं| जिस दिन गणेश महाराज घर में पधारते हैं उस समय से घरों का माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो जाता है| लोग प्रतिदिन सुबह नहा धोकर श्री गणेश की पूजा करते हैं| भगवान गणेश की पूजा में लाल चंदन, कपूर, नारियल, गुड, दूरवा घाँस, और उनके प्रिय मोदक का विशेष स्थान होता है|
घरों में पकवान और स्वादिष्ट मिष्ठान बनाये जाते हैं और श्री गणेश महाराज को भोग लगाया जाता है| यह ग्यारह दिन का पर्व होता है| रोजाना लोग मन्त्रों का उच्चारण और गणेश आरती गाकर गणेश जी की पूजा करते हैं तथा समस्त कष्टों को हरने की कामना करते हैं| भगवान गणेश को विघ्नहारी भी कहा जाता है क्यूंकि वह विघ्नों को हरने वाले और मंगल कारी हैं|
विघ्न हरण, मंगल करण, गणनायक गणराज |
रिद्धि सिद्धि सहित पधारजो, म्हारा पूरण करजो काज ||
भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश को बुद्धि और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है| रिद्धि और सिद्धि, भगवान गणेश की दो पत्नियां हैं और “शुभ और लाभ” उनके दो पुत्रों के नाम हैं|
गणेश चतुर्थी पर जगह जगह पर लोग गणेश पूजा के लिए पंडाल लगाते हैं| पूरे पंडाल को फूलों द्वारा सजाया जाता है और गणपति महाराज की प्रतिमा को स्थापित किया जाता है| हिन्दू धर्म की रीति अनुसार गणेश जी की रोजाना पूजा की जाती है| क्या अमीर और क्या गरीब…हर व्यक्ति के लिए गणेश चतुर्थी सबसे विशेष उत्सव होता है| भगवान् गणेश की पूजा के बिना हर कार्य अधूरा होता है|
पूरे 10 दिनों तक यह पूजा कार्यक्रम चलता है| ग्यारहवें दिन श्री गणेश महाराज की प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है| यह दिन सबसे भव्य होता है| इस दिन का नजारा देखने लायक होता है| सभी लोग गणेश महाराज को समुद्र या नदी में विसर्जित करते हैं|
गणपति बप्पा मोरया
मंगल मूर्ति मोरया
पूरे धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ भगवान् गणेश की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है| यह एक विशेष दिन होता है, बड़े बड़े बॉलीवुड के सेलेब्रेटी भी इसमें बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं| इस तरह श्री गणेश चतुर्थी की पूजा संपन्न होती है|
गणेश चतुर्थी पूजा विधि-
सबसे पहले प्रातः स्नान करके लाल वस्त्र धारण करें क्यूंकि लाल वस्त्र भगवान गणेश को सबसे ज्यादा प्रिय है| पूजा के दौरान गणेश जी का मुख उत्तर यार पूर्व दिशा में ही रखें –
अब उनकी पूजा आराधना इस प्रकार आरम्भ करें –
1. सबसे पहले पंचामृत से गणेश जी का अभिषेक करें
2. पंचामृत में आप सबसे पहले गणेश जी का अभिषेक दूध से करें, फिर दही से करें, फिर घी से करें, फिर शहद से करें और फिर गंगा जल से या शुद्ध जल से करें| इस तरह पंचामृत अभिषेक कीजिये
3. इसके बाद रोली और कलावा गणेश जी पर चढ़ाये
4. सिंदूर गणेश जी को बहुत प्रिय है| उनको सिंदूर चढ़ायें
5. रिद्धि सिद्धि के रूप में दो सुपारी चढ़ायें और पान चढ़ाये
6. फल, फूल चढ़ायें और फूल में गणेश जी को पीला कनेर बहुत प्रिय है, पीला कनेर चढ़ाएं और दूब चढ़ायें
7. इसके बाद उनके सबसे प्रिय मिष्ठान मोदक (लड्डू) से उनको भोग लगायें
8. इसके बाद समस्त परिवारजनों के साथ मिलकर गणेश जी की आरती गायें
9. श्री गणेश के 12 नामों का उच्चारण कीजिये और उनके मन्त्रों का उच्चारण भी कर सकते हैं
श्री गणेश के 12 नाम –
नारद पुराण में भगवान गणेश के 12 नामों का वर्णन मिलता है| उनके 12 नाम इस प्रकार हैं –
सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्ण, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाशक, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन
भगवान् गणेश के नामों के अर्थ –
1. सुमुख : सुन्दर मुख वाले
2. एकदंत : एक दन्त वाले
3. कपिल : कपिल वर्ण वाले
4. गजकर्ण : हाथी के कान वाले
5. लम्बोदर : लम्बे पेट वाले
6. विकट : विपत्ति का नाश करने वाले
7. विनायक : न्याय करने वाले
8. धूम्रकेतु : धुएं के रंग वाले पताका वाले
9. गणाध्यक्ष : गुणों और देवताओ के अध्यक्ष
10. भालचन्द्र : सर पर चंद्रमा धारण करने वाले
11. गजानंद : हाथी के मुख वाले
12. विध्ननाशक : विध्न को ख़त्म करने वाले
श्री गणेश जी की पौराणिक कहानी –
एकबार माता पार्वती नहाने जा रही थीं| तब उन्होंने अपने शरीर के मैल से एक पुतला बनाया और उसमें प्राण डालकर एक सुन्दर बालक का रूप दिया| माता पार्वती के शरीर का ही अंश होने के कारण वह बालक उनका पुत्र था| अपने पुत्र को द्वार पर खड़ा करके माता पार्वती नहाने चली जाती हैं और बालक को आदेश देती हैं कि जब तक मेरी आज्ञा ना हो तब तक किसी को भी द्वार के भीतर ना आने देना|
वह बालक द्वार पर पहरेदारी करने लगता है| तभी भगवान् शंकर आते हैं और अंदर जाने का प्रयास करते हैं लेकिन वह बालक उनको वहीँ रोक देता है| भगवान शंकर उस बालक से द्वार छोड़ने के लिए कहते हैं लेकिन वह बालक अपनी माँ की आज्ञा का पालन करता है और भगवान शंकर को अंदर प्रवेश नहीं करने देता|
तब भगवान शंकर क्रोधित हो उठते हैं और अपने त्रिशूल से उस बालक की गर्दन धड़ से अलग कर देते हैं| जब माँ पार्वती अंदर से आकर देखती हैं तो अपने पुत्र के कटे सिर को देखकर बहुत दुःखी हो जाती हैं और रोने लगतीं हैं| तब भगवान् शंकर को पता चलता है कि वह बालक उनका ही पुत्र था|
भगवान शंकर फिर अपने सेवकों को आदेश देते हैं कि धरतीलोक पर जिस बच्चे की माँ, बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही हो, उस बच्चे का सिर काट लाना| सेवक जाते हैं तो उन्हें एक हाथी का बच्चा दिखाई देता है जिसकी माँ उसकी तरफ पीठ करके सो रही थी| सेवक उस हाथी के बच्चे का सिर काट लाते हैं|
तब भगवान् शंकर उस हाथी के सिर को अपने पुत्र के सिर से जोड़कर उन्हें पुनः जीवित कर देते हैं| भगवान् शंकर उस बालक को अपने सभी गणों को स्वामी घोषित करते हैं तभी से उस बालक का नाम गणपति रख दिया जाता है|
गणपति गणेश को भगवान शंकर सबसे अग्रणी देवता होने का वरदान देते हैं अर्थात सबसे पहले पूजे जाने वाले देवता| इसीलिए कोई भी पूजा श्री गणेश भगवान के पूजन के साथ ही आरम्भ की जाती है| उनकी पूजा के बिना कोई भी पूजा संपन्न नहीं होती|
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