महाकवि कालिदास | Kalidas Story Biography in Hindi
Kalidas Biography in Hindi
महाकवि कालिदास हमारे भारत की एक अमूल्य धरोहर हैं। कालिदास जी उस दीये की तरह हैं जो घनघोर अँधेरे में भी अपने प्रकाश से उजाला कर देता है। महाकवि कालिदास ने अपनी विलक्षण प्रतिभा से कई सारे प्रसिद्ध ग्रन्थ लिखे हैं इसलिए उन्हें Shakespeare of India के नाम से भी जाना जाता है।
कालिदास जी का जन्म चौथी शताब्दी ईसा पूर्व माना जाता है। कालिदास जी ब्राह्मण कुल में जन्मे थे। माना जाता है कि कालिदास जी पढ़े लिखे नहीं थे लेकिन कालिदास जी शास्त्रीय संस्कृत के लेखक थे और उन्होंने कई नाटक और कविताओं का भी सृजन किया है। कालिदास जी को प्रतापी राजा विक्रमादित्य के समकालीन माना जाता है।
कालिदास जी को अपनी पत्नी से बहुत अधिक प्रेम था लेकिन एक घटना के कारण उनका मोह इस संसार से टूट गया। इसके बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन शास्त्रीय संस्कृत को आगे बढ़ाने में बिताया।
कालिदास जी के जीवन की एक छोटी सी प्रेरक घटना है –
* मिटटी का घड़ा *
Kalidas Story in Hindi
महाकवि कालिदास जी, राजा विक्रमादित्य के दरबार में मुख्य कवि थे। एक दिन ऐसे ही सभी लोग दरबार मैं बैठ हुए थे। गर्मियों का समय था उन दिनों बिजली और कूलर तो थे नहीं, तो सारे लोग पसीने से लथपथ हुए बैठे थे।
राजा विक्रमादित्य दिखने में बहुत सुन्दर थे, बलिष्ठ भुजाएं और चौड़ा सीना उनकी खूबसूरती में चार चाँद लगा देता था। विक्रमादित्य के माथे से छलकता पसीना भी एक मोती जैसा दिखाई देता था। वहीँ कालिदास जी एकदम कुरूप थे और पसीने की वजह से उनकी दशा बुरी बनी हुई थी।
कालिदास को देखकर विक्रमादित्य को तेज हंसी आ गई और वो कालिदास से बोले – महाकवि आप कितने कुरूप हैं, और इस गर्मी में पसीने से लथपथ होकर आप और भी बदसूरत दिखाई दे रहे हैं।
कालिदास जी को राजा विक्रमादित्य की बात बहुत बुरी लगी, उन्होंने पास खड़ी दासी से दो घड़े मंगाए – एक घड़ा सोने का और दूसरा मिटटी का
इसके बाद कालिदास ने उन दोनों घड़ों में पानी भरकर रख दिया। राजा विक्रमादित्य बड़े आश्चर्य से कालिदास के कारनामे देख रहे थे। कालिदास जी ने कहा – महाराज, देखिये ये मिटटी का घड़ा कितना कुरूप दिखता है, और ये सोने का घड़ा देखिये कैसा चमक रहा है। चलिए मैं आपको सोने के घड़े से पानी पिलाता हूँ।
विक्रमादित्य ने सोने के घड़े का पानी पिया, पानी घड़े में रखा रखा उबल जैसा गया था। इसके बाद कालिदास जी ने मिटटी के घड़े से पानी लेकर राजा को दिया। वाह! मिटटी के घड़े का पानी एकदम शीतल था। तब कहीं जाके राजा विक्रमादित्य की प्यास बुझी।
कालिदास ने धीरे से मुस्कुराते हुए कहा – देखा महाराज, रूप और सुंदरता किसी काम की नहीं है, कर्म ही आपको सुन्दर और शीतल बनाते हैं। सोने का घड़ा दिखने में चाहे जितना सुन्दर हो लेकिन शीतल जल केवल मिटटी का घड़ा ही दे सकता है।
राजा विक्रमादित्य भी हल्की मुस्कान के साथ कालिदास जी की बातों से सहमत नजर आये।
कालिदास जी की प्रमुख रचनाएँ इस प्रकार हैं –
अभिज्ञान शाकुन्तलम्
विक्रमोर्वशीयम्
मालविकाग्निमित्रम्;
दो महाकाव्य: रघुवंशम् और कुमारसंभवम्;
दो खण्डकाव्य: मेघदूतम् और ऋतुसंहार
अन्य रचनाएँ
श्रुतबोधम्
शृंगार तिलकम्
शृंगार रसाशतम्
सेतुकाव्यम्
कर्पूरमंजरी
पुष्पबाण विलासम्
श्यामा दंडकम्
ज्योतिर्विद्याभरणम्
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