आर्यभट्ट और ज़ीरो की खोज, Aryabhatta and Discovery of Zero in Hindi

August 31, 2018

Aryabhatta and Discovery of Zero in Hindiदुनिया के महानतम गणितज्ञ और खगोलविद “आर्यभट्ट” का जन्म पाटलिपुत्र में हुआ था, जो आज पटना के नाम से जाना जाता है| बहुत से मतों के अनुसार उनका जन्म दक्षिण भारत(केरल) में भी माना जाता है|

आर्यभट्ट ने “आर्यभट्ट सिद्धांत” और “आर्यभट्टिया” नामक ग्रंथों का स्रजन किया था|

उन्होंने अपने ग्रन्थ आर्यभट्टिया में गणित और खगोलविद का संग्रह किया है| इसमें उन्होंने अंकगणित, बीजगणित, सरल त्रिकोणमिति और गोलीय त्रिकोणमिति का उल्लेख किया है| इसमें उन्होंने वर्गमूल, घनमूल, सामानान्तर श्रेणी तथा विभिन्न प्रकार के समीकरणों का वर्णन भी किया है |

उन्होनें ही पहली बार by= ax+ c aur by= ax-c समीकरण सिद्धांतों को समझाया, जहाँ a,b और c चर राशियाँ हैं| बीजगणित में सबसे महत्वपूर्ण pi()= 3.1416 की व्याख्या का श्रेय भी आर्यभट्ट को ही जाता है |

लेकिन ज़ीरो(0) की महान खोज ने इनका नाम इतिहास में अमर कर दिया| जिसके बिना गणित की कल्पना करना भी मुश्किल है| आरभट्ट ने ही सबसे पहले स्थानीय मान पद्धति की व्याख्या की |

उन्होंने ही सबसे पहले उदाहरण के साथ बताया कि हमारी प्रथ्वी अपनी धुरी पर घूमते हुए सूरज की परिक्रमा करती है और चंद्रमा, पृथ्वी का उपग्रह है जो पृथ्वी की परिक्रमा करता है| उनका मानना था कि सभी ग्रहों की कक्षा दीर्घ व्रत्ताकार है| उन्होंने ही बताया कि चंद्रमा का प्रकाश सूरज का ही परावर्तन है|

आर्यभट ने बताया कि “नाव में बैठा हुआ व्यक्ति जब जलप् रवाह के साथ आगे बढ़ता है, तब वह समझता है कि  वृक्ष, पाषाण, पर्वत आदि पदार्थ उल्टीगति से जार हे हैं। उसी प्रकार गतिमान पृथ्वी पर से स्थिर नक्षत्र भी उलटी गतिसे जाते हुए दिखाई देते हैं।” आर्यभट ने ही सर्वप्रथम यह सिद्ध किया कि पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती है।

आर्यभट एक महान इंसान थे, जिन्होंने गणित में समुंदर जैसी गहराई जितने अध्धयन और विश्लेषन के बाद नयी विज्ञान को एक नयी दिशा दी…

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