तुलसीदास की जीवनी | Goswami Tulsidas in Hindi

October 7, 2020

Saint Tulsidas Jivani in Hindi

हिंदी साहित्य के अनंत आकाश में तुलसीदास जी एक ऐसे सितारे हैं जिनकी चमक से पूरा आकाश प्रकाशित रहता है। गोस्वामी तुलसीदास ने “रामचरितमानस” का स्रजन किया था। संत तुलसीदास जी द्वारा रचित “हनुमानचालीसा” को पढ़ने से भय और डर का सर्वनाश हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि संत कवि तुलसीदास जी को भगवान के साक्षात् दर्शन हुए थे।

गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म राजापुर गांव, उत्तर प्रदेश में हुआ था। संवत् 1554 की श्रावण मास की अमावस्या के सातवें दिन तुलसीदास जी का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम आत्माराम और माता का नाम हुलसी देवी था। ऐसा माना जाता है कि तुलसीदास का जन्म बारह महीने गर्भ में रहने के बाद हुआ था जिसकी वजह से वह काफी हृष्ट पुष्ट थे। जन्म लेने के बाद प्राय: सभी शिशु रोया ही करते हैं किन्तु इस बालक ने जो पहला शब्द बोला वह “राम” था। इस तरह उनका घर का नाम “रामबोला” पड़ गया था।

तुलसीदास जी के ग्रन्थ – Tulsidas Granth

रामचरितमानस
रामलीला नहछु
वैराग्य संदीपनि
बरवै रामायण
पार्वती मंगल
जानकी मंगल
रामाज्ञा
दोहावली
कवितावली
गीतावली
कृष्ण गीतावली
विनयपत्रिका
‘हनुमान चालीसा’

उनके जीवन का एक छोटा सा सुन्दर प्रेरक प्रसंग है –

Tulsidas Story in Hindi

तुलसीदास जी जब “रामचरितमानस” लिख रहे थे, तो उन्होंने एक चौपाई लिखी –

सिय राम मय सब जग जानी ,
करहु प्रणाम जोरी जुग पानी ।।
अर्थात –
पूरे संसार में श्री राम का निवास है, सबमें भगवान हैं और हमें उनको हाथ जोड़कर प्रणाम कर लेना चाहिए।

चौपाई लिखने के बाद तुलसीदास जी विश्राम करने अपने घर की ओर चल दिए। रास्ते में जाते हुए उन्हें एक लड़का मिला और बोला –
अरे महात्मा जी, इस रास्ते से मत जाइये आगे एक बैल गुस्से में लोगों को मारता हुआ घूम रहा है। और आपने तो लाल वस्त्र भी पहन रखे हैं तो आप इस रास्ते से बिल्कुल मत जाइये।

तुलसीदास जी ने सोचा – ये कल का बालक मुझे चला रहा है। मुझे पता है – सबमें राम का वास है। मैं उस बैल के हाथ जोड़ लूँगा और शान्ति से चला जाऊंगा।

लेकिन तुलसीदास जी जैसे ही आगे बढे तभी बिगड़े बैल ने उन्हें जोरदार टक्कर मारी और वो बुरी तरह गिर पड़े।

अब तुलसीदास जी घर जाने की बजाय सीधे उस जगह पहुंचे जहाँ वो रामचरित मानस लिख रहे थे। और उस चौपाई को फाड़ने लगे, तभी वहां हनुमान जी प्रकट हुए और बोले – श्रीमान ये आप क्या कर रहे हैं?

तुलसीदास जी उस समय बहुत गुस्से में थे, वो बोले – ये चौपाई बिल्कुल गलत है। ऐसा कहते हुए उन्होंने हनुमान जी को सारी बात बताई।

हनुमान जी मुस्कुराकर तुलसीदास जी से बोले – श्रीमान, ये चौपाई तो शत प्रतिशत सही है। आपने उस बैल में तो श्री राम को देखा लेकिन उस बच्चे में राम को नहीं देखा जो आपको बचाने आये थे। भगवान तो बालक के रूप में आपके पास पहले ही आये थे लेकिन आपने देखा ही नहीं।
ऐसा सुनते ही तुलसीदास जी ने हनुमान जी को गले से लगा लिया।

दोस्तों हम भी अपने जीवन में कई बार छोटी छोटी चीज़ों पर ध्यान नहीं देते और बाद में बड़ी समस्या का शिकार हो जाते हैं। ये किसी एक इंसान की परेशानी नहीं है बल्कि ऐसा हर इंसान के साथ होता है। कई बार छोटी छोटी बातें हमें बड़ी समस्या का संकेत देती हैं आप उनपर विचार करिये फिर आगे बढ़िए।

तुलसीदास जी के इस प्रेरक प्रसंग से यही शिक्षा मिलती है..