चालक लोमड़ी और बकरी | प्रेरक पंचतंत्र की कहानी
विष्णु शर्मा की पंचतंत्र की कहानी
एक लोमड़ी जंगल में घूम रही थी। गर्मी का मौसम था इसलिए उसे बहुत प्यास लग रही थी। लोमड़ी बहुत देर से पानी की तलाश में घूम रही थी। तभी उसे एक गहरा कुंआ दिखाई पड़ा। जिसमें पानी चमक रहा था। बिना सोचे समझे लोमड़ी उस कुँए में कूद गई। उसने वहां मन भरकर पानी पिया और फिर वहीँ सस्ताने लगी।
थोड़ी ही देर में वह एक झटके में उठी और ज़ोर ज़ोर से छलांग भरने लगी दरअसल पानी पीने के चक्कर में वह कुँए में कूद तो गई थी। लेकिन उसने यह सोचा नहीं था कि वह बाहर कैसे निकलेगी? चूंकि उसने बिना सोचे समझे छलांग लगाई थी इसलिए अब इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा था।
उसने कुँए से बाहर निकालने की बहुत कोशिश की। लेकिन वह विफल रही उसे खुद पर गुस्सा आ रहा था और डर से रोने जैसी हालत हो गयी। उसने आते जाते हुए जानवरों को आवाज़े दीं लेकिन किसी ने उसकी आवाज़ नहीं सुनी। अचानक उसे एक तरकीब सूझी वह ऐसी आवाजें निकालने लगी जैसे कुंए के अंदर उसे बहुत मज़ा आ रहा हो।
वाह वाह क्या बात है सचमुच आज तो मज़ा आ गया। मेरी मति मारी गई थी जो मैं यहाँ पहले नहीं आई। थोड़ी देर बचाओ बचाओ कि उसकी पुकार पर कोई ध्यान नहीं दे रहा था। लेकिन उसके आनंद प्रकट करते ही आते जाते जानवर भी कुँए के अंदर झाँकने लगे कि यहाँ हो क्या रहा है। थोड़ी देर में एक बकरी आई जो बहुत प्यासी थी।
लोमड़ी को आवाज़ निकालते देख कर वह रुकी और लोमड़ी से उसने पूछा कि अंदर सचमुच पानी है। लोमड़ी बोली हाँ बिल्कुल है। मैंने इससे स्वादिष्ट पानी आज तक नहीं पिया। बकरी प्यासी तो थी ही और लोमड़ी की बातों में आकर कुँए में कूद गई।
लोमड़ी मन ही मन बहुत खुश हुई। लोमड़ी ने बकरी को मीठा पानी पिलाया और फिर उससे बोली यहाँ का पानी तो बहुत अच्छा है लेकिन बस एक मुश्किल है कि यहाँ से बाहर निकलने का रास्ता नहीं है।
यह सुनकर बकरी की हालत खराब हो गई। वह रो कर कहने लगी कि अब हम यहाँ से बाहर कैसे निकलेंगे? लोमड़ी बोली तुम इसकी चिंता मत करो। मेरे पास इस कुंए से निकलने का उपाय है।
तुम पैर ऊपर करके खडी हो जाना मैं तुम्हारी पीठ पर चढ़ कर बाहर निकाल जाऊँगी। कुँए से बाहर निकलने के बाद मैं तुम्हें भी ऊपर खींच लूँगी। बकरी लोमड़ी की बातों में आ गई और पैर ऊपर रख कर खड़ी हो गई लोमड़ी बकरी के ऊपर खड़ी हो गई और कुँए से बाहर निकल गई। बकरी लोमड़ी का इंतज़ार करती रही लेकिन लोमड़ी का काम निकल गया था। वह बकरी की परवाह किए बिना अपने रास्ते पर चली गई।
तो बच्चों बिना जाने समझे किसी पर विश्वास नहीं करना चाहिए यही इस पंचतंत्र की कहानी की शिक्षा है।
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मित्रों ये कहानी आप अपने बच्चों या स्कूल में छात्रों को सुनायें। ऐसी कहानियां खेल खेल में बच्चों में मन पर बड़ा ही गहरा प्रभाव छोड़ती हैं। इससे बच्चों को अच्छी सीख मिलेगी और आप सबको ये कहानी कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताइये……धन्यवाद!!!