त्यौहार दिवाली पर निबंध | Diwali Essay in Hindi
दिवाली पर निबंध [दीपों का त्यौहार]
विद्यार्थियों के लिए दीपों के उत्सव दीपावली पर निबंध प्रस्तुत है| दिवाली का त्यौहार हमारी हिन्दू संस्कृति का सबसे बड़ा महोत्सव है| दीपावली दीपों का वह पर्व है जो लोगों के जीवन में सुख, खुशहाली और समृद्धि लाता है| सत्य की विजय का यह पर्व स्मरण कराता है कि असत्य कितना भी बलवान क्यों ना हो लेकिन विजय हमेशा सत्य की ही होती है| दिवाली का उत्सव हिंदू धर्म में कई युगों से मनाया जाता रहा है|
दीपावली का अर्थ –
दीपावली दो शब्दों के मेल से बना है – दीप + आवली, जहाँ दीप का अर्थ दीया अथवा ज्योति से है और आवली का अर्थ होता है पंक्ति अथवा कतार, तो इस प्रकार दीपावली का शाब्दिक अर्थ होता है “दीपों की पंक्ति या दीपों की कतार”
दिवाली भारत के सबसे प्रमुख सामाजिक उत्सव है जो लोगों को सुख और समृद्धि की ओर ले जाता है और सबसे दिलों से बुराई और दुःख रूपी अंधकार को दूर करता है|
दिवाली कब मनाते हैं – Short Essay on Diwali in Hindi
दीपावली का पर्व प्रतिवर्ष शरद ऋतु में कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है| यह पर्व कृषि के दृष्टिकोण से भी बहुत महत्त्वपूर्ण है| नई फसलों का आरम्भ होता है जिसे लोग उत्सव की तरह मानते हैं| दिवाली का पर्व हमेशा अक्टूबर या नवम्बर के महीने में ही मनाया जाता है| 2017 में 19 अक्टूबर को दिवाली का पर्व मनाया जायेगा|
दिवाली का वर्णन हमारे स्कन्द पुराण और पद्मपुराण में भी मिलता है| स्कंदपुराण में ज्वलित दीप को सूर्य का प्रतिनिधि माना गया है| जिस प्रकार सूर्य अपने प्रकाश और ऊर्जा से समस्त संसार को जीवन प्रदान करता है वैसे ही दीप की ज्योति को जीवन का रूप माना गया है|
दिवाली कहाँ कहाँ मनाई जाती है –
दीपावली के उत्सव की लोकप्रियता इसी बात से देखी जा सकती है कि यह सिर्फ भारत में ही नहीं अपितु विश्व के कई देशों में प्रमुख त्यौहार के रूप में मनाया जाता है|
दीवाली भारत के अलावा सिंगापुर, मलेशिया, पाकिस्तान, नेपाल, ऑस्ट्रेलिया, सूरीनाम, श्रीलंका, त्रिनिदाद, म्यांमार, गुयाना, मारीशस, टोबैगो और फिजी देश में भी मनाया जाता है| कुछ देशों में इस दिन सार्वजनिक अवकाश भी होता है|
दिवाली का महत्व – Diwali Nibandh in Hindi
प्रकाश का यह महोत्सव केवल एक त्यौहार ही नहीं है बल्कि यह हमारी संस्कृति और हमारे संस्कारों को भी दर्शाता है| दीपावली के पर्व का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व है| दीपों का यह पर्व हमें स्मरण कराता है कि अंधकार कितना भी घना क्यों ना हो लेकिन प्रकाश का एक छोटा दीपक भी अंधकार का सर्वनाश कर सकता है|
* दिवाली का पर्व हमें सिखाता है कि असत्य बलशाली होने के बावजूद भी सत्य के आगे कमजोर साबित होता है|
* दिवाली का पर्व हमें सिखाता है कि बुराई कितने भी पाँव जमा ले लेकिन उसका अंत एकदिन जरूर होता है|
* दिवाली का पर्व हमें सिखाता है कि अधर्म कितना भी कुटिल क्यों ना हो लेकिन विजय हमेशा धर्म की ही होती है|
दिवाली मात्र एक पर्व नहीं है बल्कि यह एक शिक्षा है जो हमारी संस्कृति की नींव को मजबूत बनाती है और लोगों के हृदय में सत्य की स्थापना करती है| इसके साथ ही साथ दिवाली के पर्व का महत्व इसलिए भी अधिक है कि इस दिन सभी लोग अपने घर, दुकान, ऑफिस आदि सभी जगह की सफाई करते हैं तो इससे मच्छर और गंदे विषाणुओं का नाश होता है जिस कारण हम बिमारियों से भी बचते हैं|
दिवाली कर पर्व धन और समृद्धि के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है| इस दिन सभी लोग अपने घरों में धन की देवी माँ लक्ष्मी का पूजन करते हैं| ऐसा माना जाता है कि दिवाली में माँ लक्ष्मी के पूजन से धन और समृद्धि का वास होता है|
दिवाली का पर्व सामाजिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है क्यूंकि इस पर्व को सभी धर्म के लोग मनाते हैं – “हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई” सभी इस त्यौहार को धूमधाम से मनाते हैं इसलिए सामाजिक शांति और सौहार्द की भावना की वजह से भी यह त्यौहार महत्वपूर्ण है|
दिवाली क्यों मनाते हैं
दिवाली का त्यौहार हिन्दू धर्म में कई युगों से मनाया जाता है| इस पर्व को मनाने के पीछे भगवान राम और राक्षसराज रावण की कथा प्रचलित है|
राक्षसराज रावण लंका का राजा था| रावण महापंडित और कई वेदों का ज्ञाता था तथा भगवान् शिव का परम भक्त था| रावण के दस सिर थे इसलिए उसे दशानन भी कहा जाता है| रावण को अपनी शक्ति पर बहुत घमंड था| उसने अपनी बहन सूपर्णखां के अपमान का बदला देने के लिए भगवान् श्री राम की पत्नी माता सीता का अपहरण कर लिया था|
भगवान् राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण, देवी सीता का पता ढूंढते हुए वन- वन भटक रहे थे| उस समय शबरी नाम की वृद्ध महिला ने उनको सुग्रीव के बारे में बताया| श्री राम जब सुग्रीव से मित्रता करने पहुंचे तब उनकी मुलाकात वीर हनुमान से हुई|
पवन पुत्र हनुमान, महाबलशाली और भगवान् राम के परम भक्त थे| वीर हनुमान ने एक ही छलांग में सात समुन्दर लांघकर लंका में प्रवेश किया और माता सीता का पता लगाया| तब भगवान् राम ने लंका पर चढ़ाई आरम्भ कर दी| सुग्रीव की वानर सेना के साथ मिलकर राम और लक्ष्मण ने रावण के कई राक्षसों का वध किया जिनमें मेघनाद, कुम्भकर्ण, अतिकाय प्रमुख थे|
अंत में रावण स्वयं श्री राम से युद्ध करने आया| भगवान् राम से कई बार रावण का सिर काटा लेकिन रावण नहीं मरा क्यूंकि उसे भगवान् शिव से वरदान प्राप्त था| तब विभीषण ने श्री राम को बताया कि रावण की नाभि में अमृत है जिसके कारण उसकी मृत्यु नहीं हो सकती| तब श्री राम ने रावण की नाभि पर तीर चलाया और रावण को मार गिराया और माता सीता को लंका से आजाद कराया|
कार्तिक मास की अमावस्या के दिन भगवान् राम जब माता सीता सहित अयोध्या वापस आये तो अयोध्या की प्रजा में उत्सव का माहौल बन गया| पूरी प्रजा ने अपने घरों की सफाई की और अपने घरों में घी के दीये जलाये जिससे अमावस की रात्रि में भी पूरी अयोध्या नगरी प्रकाश से भर उठी| चारों ओर हर्ष और उल्लास माहौल था|
उसी समय से प्रतिवर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को पूरे भारत में दिवाली का पर्व मनाया जाता है और सभी लोग दीये जलाकर भगवान् राम का स्वागत करते हैं|
दिवाली कैसे मनाई जाती है
भारत त्यौहारों का देश है लेकिन जितनी खुशियां दिवाली का त्यौहार लेकर आता है उतनी कोई और त्यौहार नहीं लाता| दिवाली से कुछ दिन पहले से ही मार्किट में काफी चहल पहल दिखनी शुरू हो जाती है| सब जगह रौनक दिखाई देती है|
मिठाई की दुकानें सजने लगती हैं, जगह-जगह पटाखों और फुलझड़ियों की दुकानें दिखती हैं, लोग देवी देवताओं की तस्वीरें और कैलेंडर खरीदते हैं| सब ओर माहौल एकदम खुशनुमा हो जाता है| परदेस में काम करने वाले लोग भी अपने घरों पर वापस आने लगते हैं और स्कूलों में भी बच्चों की छुट्टियां हो जाती हैं|
दिवाली से पहले सभी लोग अपने-अपने घर, ऑफिस सब जगह सफाई करते हैं| घरों की मरम्मत कराते हैं, रंगाई पुताई का कार्यक्रम भी इन दिनों जोरों से चलता है| जिन लोगों के मकान कच्चे हैं वो मिटटी और गाय के गोबर से घर की लिपाई करते हैं और जिनके पक्के मकान हैं वो कलई और चूने से घर की पुताई करते हैं|
लोग अपने घरों को आकर्षक रूप से सजाते हैं| दिवाली के दिन सभी लोग नए कपडे पहनते हैं और बाजार से पटाखे, फुलझड़ी और मिठाइयां खरीद कर लाते हैं| लोग अपने सगे सम्बन्धियों में मिठाई बांटते हैं और गले मिलकर दिवाली की शुभकामनायें देते हैं| इस दिन लोग सब द्वेष भावना को भूलकर दुश्मन को भी गले लगा लेते हैं|
दिवाली पर सबसे ज्यादा आनंद बच्चों को आता है| बच्चे दिन भर मस्ती करते हैं, नए कपडे पहनते हैं और पटाखे चलाते हैं| मार्किट में कई प्रकार के सुन्दर पटाखे आने लगे हैं जिनसे बच्चों का बहुत मनोरंजन होता है|
शाम को सभी लोग दिवाली पूजन करते हैं| दिवाली पूजा के समय पूरा परिवार एक जगह इकठ्ठा होता है और मंदिर में लक्ष्मी गणेश की मूर्ति या तस्वीर लगाते हैं| लक्ष्मी गणेश की पूजा से दिवाली पूजन आरम्भ किया जाता है| लोग आरती गाते हैं और सम्पूर्ण जगत के लिए मंगल कामना करते हैं|
सभी लोग अपने घरों में दीये जलाते हैं| दिवाली के दिन घर के एक भी कोने में अँधेरा नहीं रहता, हर ओर दीये जलाकर प्रकाश किया जाता है| लोग अपने घरों के सामने और दीवारों पर भी दीये जलाते हैं| यह दृश्य इतना मोहक होता है कि पूरे संसार में ऐसा नजारा कहीं देखने को ना मिलेगा| चारों ओर, हर जगह दीप ही दीप दिखाई देते हैं और दीपों की ज्योति से पूरा देश जगमगा उठता है|
अब लोग फुलझड़ी और पटाखे चलाते हैं| इस दिन पूरा आसमान रंगबिरंगा हो जाता है, चारों ओर पटाखों का चमकीला प्रकाश दिखाई देता है, यह नजारा देखते ही बनता है| लोग पूजा के बाद मिठाइयां खाते हैं और पूरे हर्षोल्लास के साथ दिवाली मनाते हैं|
इस प्रकार दिवाली का पर्व मनाया जाता है| दिवाली का पर्व लोगों को अपनों के करीब लाता है और सामाजिक शांति और सदभावना की स्थापना करता है|
एक निवेदन : मित्रों दिवाली पर इस निबंध के माध्यम से हम समाज में यह जागरूकता फैलाना चाहते हैं कि दिवाली खुशियों का पर्व है| इस दिन मिठाइयां खाइये और बुराइयों को अपने अंदर से निकालिये और आपसे निवेदन है कि पटाखे कम से कम चलायें क्यूंकि पटाखों की वजह पर्यावरण को बहुत क्षति होती है और वातावरण में जहरीली गैसें फ़ैल जाती हैं| इसलिए इस दिवाली पर पटाखे ना चलायें, खुशियां बाटें और आनंद उठायें|
मित्रों दिवाली का यह विस्तृत निबंध आपको कैसा लगा, ये आप हमको कमेंट करके भी बता सकते हैं| छात्र इस दिवाली के निबंध (Diwali Essay in Hindi) को अपने पाठ्यक्रम या किसी कार्यक्रम के लिए इस्तेमाल भी कर सकते हैं| हिंदीसोच की ओर से आप सभी को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें।। धन्यवाद!!
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