क्या अमीर होना ही सफलता है ?

November 1, 2016

Hello friends , मैं khayalrakhe.com से Babita Singh हूँ और आज मैं आपसे hindisoch.com के माध्यम से सफलता के विषय में अपने विचार व्यक्त करना चाहती हूँ कि सफलता के मानक भले ही सबके लिए अलग है लेकिन सफल वही है जो अपनी प्रतिभा से समाज का मार्गदर्शन करता है |

आखिर क्या है सफलता के मानक?

इस दुनिया में सभी व्यक्ति सफल बनना चाहते हैं, शिखर पर पहुँचना चाहते हैं | इस क्षेत्र में जो मन में सबसे पहला विचार आता है वह है अमीर बनने का विचार | हर कोई आज अमीर बनना चाहता है और ऐसा इसलिए है क्योंकि आज सफलता के मानक बदल गए है | अमीर बनने को ही लोग सफलता मानने लगे है | सच पूछिए तो ऐसा नहीं है | सच्ची सफलता वह है जब कोई व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में अपनी बहुमुखी प्रतिभा से समाज का मार्गदर्शन करता है | यह सफलता लौकिक और अध्यात्मिक दोनों ही क्षेत्रों में हो सकती है | सफलता पाने के लिए धन की नहीं बल्कि आत्मशक्ति की जरूरत है और यह आत्मशक्ति व्यक्ति के अन्दर ही होती है |

सफलता के सूत्रधार स्वामी विवेकानंद कहते है – “ हर व्यक्ति के अन्दर एक नैसर्गिक क्षमता छिपी होती है , एक मौलिक प्रतिभा ढकी होती है | यदि इसे सही ढ़ंग से पहचान लिया जाए एवं इसके विकास के लिए समुचित प्रयत्न किया जाए तो अनेको उपलब्धियों को पाया जा सकता है | ”

व्यक्ति के अन्दर अनंत सामर्थ भरी पड़ी है कि वह चाहे तो उसके माध्यम से जो भी असम्भव सा लगता है उसे करके दिखा दें | हमारे देश में ऐसे अनेक उदहारण मिल जायेंगे जिन्होंने प्रतिकूल परिस्थितियों के होते हुए भी जीत हसिल की है | ये लोग अमीर बनें न बनें लेकिन अपने – अपने क्षेत्र में सफल हुए | इन्होंने दूसरों के लिए रास्ता बनाया जिस पर चलकर कोई भी सफलता की सीढियों पर चढ़ सकता है | एक छोटे से गांव में रहने वाला सीमित साधनों में कार्य करने वाला भी यदि आज प्रण कर लें तो अपनी आत्मशक्ति के सहारे सफलता के शिखर पर पहुँच कर अपना झंडा गाड़ सकता है | इसका सबसे अच्छा उदाहरण कि चाय वाले का बेटा आज हमारे देश का प्रधानमंत्री है |

इतिहास गवाह है जो लोग सफल हुए है , उनके पास सबसे पहले छोटी – सी एक पूंजी थी आत्मशक्ति की, विचारों की, उद्देश्य की | मकसद था उन्नति का , ऊँचा उठने का , आगे बढ़ने का | इन लोगो ने अपने विचारो को सीचा | अपने विचारों को मूर्त रूप देने के लिए दिन – रात परिश्रम किया , सूझ – बूझ से उसे पाला – पोसा | इनकी मेहनत का परिणाम सफलता के एक महावृक्ष के रूप में सामने आया | ऐसे अनेक जीवंत प्रतिमानों से इतिहास के पन्ने भरे पड़े है |

– महात्मा गांधी जिनके विचारों के आगे पूरा देश नतमस्तक है |

– भगवान बुद्ध जिन्होंने अपने जीवन के सभी राग – रंगो , एश्वर्य – भोगो आदि को छोड़ दिया फिर भी वह एक सफल व्यक्ति थे | बुद्ध की सफलता राज्य सम्भालने में नहीं बल्कि बुद्द्त्व की प्राप्ति में थी | उनके चरणों में मगध सम्राट बिम्बसार भी झुकते थे |

– I.C.S. (आई.सी.एस.) की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने के समीप आ जाने के वावजूद श्री अरविन्द घोष ने देश सेवा एवं अंत में अध्यात्म को चुना | उनके जीवन का उद्देश्य ही यही था अत: वे सफल थे और सफलता के पर्याय भी |

ऐसे कुछ नहीं बल्कि हजारों उदाहरण है |

वर्तमान समय की बात करें तो बाजारवाद, वैश्वीकरण, भूमंडलीकरण की इस दुनिया में आज सफल उसी को मान लिया गया है जो अपने साथ विरासत में silver spoon लेकर पैदा हुए है या जो media type होते है | हम उन I.I.M. या I.I.T. युवाओं के बारे में तो जान जाते है जिन्हें मल्टीनेशनल कम्पनी में उच्च बेतन पर नौकरी मिल जाती है पर उन युवाओं की चर्चा नहीं होती जो अपने स्तर पर युवाओं का एक आदर्श बनकर कृषि बागवानी ,पर्यावरण के क्षेत्र में अच्छे कार्य कर ढेरों युवाओं के मार्गदर्शक तथा प्रेरणास्रोत बन रहे है |

साहस के बल पर एवरेस्ट पर पहुँचना अथवा खेलकूद के क्षेत्र में राष्ट्र को ओलंपिक मेडल दिलाना , प्रतिभा के बल पर मिसाइलमैन का खिताब मिलना एक सफल सर्जन या फिजीशियन बनना सफलता ही तो है | नोबुल पुरस्कार प्राप्त वैज्ञानिक या एक अध्यात्मिक चिंतक को हम सफल ही तो मानेंगे | सफलता को जबतक हम बहुआयामी संदर्भ में नहीं समझेंगे तब तक हम सफलता और अमीरी को एक ही मानते रहेंगे |

सफल इंसान वह नहीं है जिसके पास धन है बल्कि सफल इंसान वह है जो अपने साहस और प्रतिभा से लोगों का मार्गदर्शन करता है | सच कहे तो स्वार्थ एवं अहं से प्रेरित सफलता का जीवन में कोई मूल्य नहीं, भले ही हमारा समाज इसका कितना ही मूल्य आँके | सफलता शब्द का अर्थ मानवीय चेतना का उत्तरोत्तर विकास है | हर वह कार्य एवं व्यवसाय, जो मानव के विकास में सहयोगी हो तथा अपनी अभिरुचि के अनुकूल हो वह सब सफलता के दायरे में आता है | अपने जीवन के उद्देश्य को जानकर अपनी क्षमताओं का सही उपयोग करना ही सच्ची सफलता है |

ये एक Guest Post है जो हमें बबिता सिंह जी ने भेजी है
उनका ब्लॉग – http://www.khayalrakhe.com
babitasingh