दो भाई : कथा सागर Prerak Katha कथा संग्रह
किसी दूर गाँव में दो भाई रहते थे- चेतन और प्रकाश। चेतन बड़ा भाई था लेकिन उसमें बड़े होने जैसा एक भी गुण नहीं था। दिन रात शराब के नशे में डूबा रहता और साथ ही अपने परिवार वालों के साथ मारपीट करता।
चेतन के इस व्यवहार से घरवाले ही नहीं बल्कि समाज के लोग भी परेशान थे। चेतन रोज आये दिन कोई ना कोई नया बखेड़ा करता। कभी शराब के नशे में कहीं गिर जाता तो कभी किसी से झगड़ा कर बैठता।
दूसरी ओर प्रकाश जो छोटा भाई था वो एक सरकारी बाबू था। सादा जीवन और उच्च विचार वाली भावना वाला प्रकाश सभी के साथ बहुत विनम्रता के साथ पेश आता था। प्रकाश की घर में ही नहीं समाज में भी बहुत अच्छी इज्जत थी।
सुबह पूजा पाठ करना और बेसहारा की मदद करना प्रकाश का परम धर्म था। कई बार समाज के लोग बड़े चकित होते थे कि ये दोनों भाई एक ही पिता की संतान हैं लेकिन दोनों के स्वभाव में देखो जमीन आसमान जैसा फर्क है।
एक दिन किसी व्यक्ति ने दोनों भाइयों से पूछा कि तुम लोग एक ही पिता की संतान हो और दोनों एक ही जैसे परिवेश में पले हो लेकिन आपका स्वभाव एकदम विपरीत कैसे है ? चेतन तुमने ये सब किससे सीखा? किसने तुम्हें शराबी बनने को प्रेरित किया?
चेतन ने गुस्से में कहा – मेरे पिता ने, मैंने सब कुछ अपने पिता से सीखा है। मेरे पिता बहुत नशा करते थे। रोजाना शराब पीते और घर में मारपीट करते थे। तो बताओ ऐसे माहौल में मैं कैसे ना बिगड़ता? इसमें मेरा कोई दोष नहीं है मैंने अपने पिता से सब सीखा है।
अब सभी ने प्रकाश से पूछा – प्रकाश बाबू, आप कैसे इतने अच्छे स्वभाव के हैं। आपको इंसानियत का पाठ किसने पढ़ाया? आपको अच्छे स्वभाव की प्रेरणा किसने दी ?
प्रकाश ने मुस्कुराते हुए कहा – मेरे पिता ने, मैंने सब कुछ अपने पिता से सीखा है। मेरे पिता बहुत नशा करते थे। रोजाना शराब पीते और घर में मारपीट करते थे। मैं जानता था ये सब गलत है और मैंने कसम खायी कि मैं कभी ये नशा नहीं करूँगा क्योंकि मैं उसका परिणाम अपनी आखों से देख चुका था।
दोस्तों हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। आप चाहे तो सकारात्मक सोच सकते हैं और चाहे तो नकारात्मक। चेतन ने पिता से नकारात्मक शिक्षा ली और प्रकाश ने सकारात्मक। आप चाहे तो किसी भी इंसान से सीख सकते हैं बस आपको दूसरों में सकारात्मक गुण देखना है। यही इस कहानी की शिक्षा है।
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