कहानी: हिंदी स्टोरीज | Hindi Stories for Kids Reading

September 27, 2021

Bedtime Stories in Hindi

Bedtime Stories in Hindi

ये ऐसे सेठ इंसान की कहानी है जिसके पास सब कुछ है लेकिन सुख नहीं है| इस कहानी में एक ऋषि उस सेठ को ज्ञान का पाठ पढ़ाते हैं और बताते हैं कि असली सुख कहाँ है|

सुख की खोज – Hindi Story on Happiness

एक बार की बात है कि एक शहर में बहुत अमीर सेठ रहता था| अत्यधिक धनी होने पर भी वह हमेशा दुखी ही रहता था| एक दिन ज़्यादा परेशान होकर वह एक ऋषि के पास गया और अपनी सारी समस्या ऋषि को बताई|

Hindi Story on Happinessउन्होंने सेठ की बात ध्यान से सुनी| और सेठ से कहा कि कल तुम इसी वक्त फिर से मेरे पास आना, मैं कल ही तुम्हें तुम्हारी सारी समस्याओं का हल बता दूँगा| सेठ खुशी खुशी घर गया और अगले दिन जब फिर से ऋषि के पास आया तो उसने देखा कि ऋषि सड़क पर कुछ ढूँढने में व्यस्त थे|

सेठ ने गुरुजी से पूछा कि महर्षि आप क्या ढूँढ रहे हैं , गुरुजी बोले कि मेरी एक अंगूठी गिर गयी है, मैं वही ढूँढ रहा हूँ, पर काफ़ी देर हो गयी है लेकिन अंगूठी मिल ही नहीं रही है| यह सुनकर वह सेठ भी अंगूठी ढूँढने में लग गया, जब काफ़ी देर हो गयी तो सेठ ने फिर गुरुजी से पूछा कि आपकी अंगूठी कहा गिरी थी| ऋषि ने जवाब दिया कि अंगूठी मेरे आश्रम में गिरी थी, पर वहाँ काफ़ी अंधेरा है इसीलिए मैं यहाँ सड़क पर ढूँढ रहा हूँ|

सेठ ने चौंकते हुए पूछा कि जब आपकी अंगूठी आश्रम में गिरी है तो यहाँ क्यूँ ढूँढ रहे हैं| ऋषि ने मुस्कुराते हुए कहा कि यही तुम्हारे कल के प्रश्न का उत्तर है, खुशी तो मन में छुपी है लेकिन तुम उसे धन में खोजने की कोशिश कर रहे हो| इसीलिए तुम दुखी हो, यह सुनकर सेठ ऋषि के पैरों में गिर गया|

तो मित्रों, यही बात हम लोगों पर भी लागू होती है जीवन भर पैसा इकट्ठा करने के बाद भी इंसान खुश नहीं रहता क्यूंकी हम पैसा कमाने में इतना मगन हो जाते हैं और अपनी खुशी आदि सब कुछ भूल जाते हैं| स्वामी विवेकानंद का कहना है कि समस्त ब्रह्माण्ड हमारे इस शरीर के ही अंदर विद्धमान है जबकि हम जीवनभर इधर उधर भटकते रहते हैं। सत्य बोलना, परोपकार करना, अच्छी सोच रखना बहुत बड़ा सुख है लेकिन हम सही जगह अपनी खुशियां ढूंढ ही नहीं रहे हैं। सागर हमारे सामने है और हम हाथ में चम्मच लिए प्यासे खड़े हैं। केवल पैसा कमाना ही सुख नहीं है मित्रों अच्छे कर्म करो अपने माता पिता की सेवा करो और हमेशा दूसरों के हित में सोचो फिर देखो जो ख़ुशी आपको मिलेगी, वो अतुलनीय होगी यही इस कहानी की सीख है।

व्यक्ति की पहचान – Inspiring Story in Hindi

किसी जंगल में एक संत महात्मा रहते थे। सन्यासियों वाली वेश भूषा थी और बातों में सदाचार का भाव, चेहरे पर इतना तेज था कि कोई भी इंसान उनसे प्रभावित हुए नहीं रह सकता था।

एक बार जंगल में शहर का एक व्यक्ति आया और वो जब महात्मा जी की झोपड़ी से होकर गुजरा तो देखा बहुत से लोग महात्मा जी के दर्शन करने आये हुए थे। वो महात्मा जी के पास गया और बोला कि आप अमीर भी नहीं है, आपने महंगे कपडे भी नहीं पहने हैं, आपको देखकर मैं बिल्कुल प्रभावित नहीं हुआ फिर ये इतने सारे लोग आपके दर्शन करने क्यों आते हैं ?

महात्मा जी ने उस व्यक्ति को अपनी एक अंगूठी उतार के दी और कहा कि आप इसे बाजार में बेच कर आएं और इसके बदले एक सोने माला लेकर आना। अब वो व्यक्ति बाजार गया और सब की दुकान पर जाके उस अंगूठी के बदले सोने की माला मांगने लगा। लेकिन सोने की माला तो क्या उस अंगूठी के बदले कोई पीतल का एक टुकड़ा भी देने को तैयार नहीं था।

थकहार के व्यक्ति वापस महात्मा जी के पास पहुंचा और बोला कि इस अंगूठी की तो कोई कीमत ही नहीं है। महात्मा जी मुस्कुराये और बोले कि अब इस अंगूठी को पीछे वाली एक गली में सुनार की दुकान पर ले जाओ।

व्यक्ति जब सुनार की दुकान पर गया तो सुनार ने एक माला नहीं बल्कि पांच माला अंगूठी के बदले देने को कहा। व्यक्ति बड़ा हैरान हुआ कि इस मामूली से अंगूठी के बदले कोई पीतल की माला देने को तैयार नहीं हुआ लेकिन ये सुनार कैसे 5 सोने की माला दे रहा है।

व्यक्ति वापस महात्मा जी के पास गया और उनको सारी बातें बतायीं। अब महात्मा जी बोले कि चीजें जैसी ऊपर से दिखती हैं, अंदर से वैसी नहीं होती। ये कोई मामूली अंगूठी नहीं है बल्कि ये एक हीरे की अंगूठी है जिसकी पहचान केवल सुनार ही कर सकता था। इसलिए वह 5 माला देने को तैयार हो गया।

ठीक वैसे ही मेरी वेशभूषा को देखकर तुम मुझसे प्रभावित नहीं हुए। लेकिन ज्ञान का प्रकाश लोगों को मेरी ओर खींच लाता है। व्यक्ति महात्मा जी की बातें सुनकर बड़ा शर्मिंदा हुआ।

तो दोस्तों कपड़ों से व्यक्ति की पहचान नहीं होती बल्कि आचरण और ज्ञान से व्यक्ति की पहचान होती है।

बच्चों के लिए कहानी – Hindi Positive Thinking Story

किशन और रवि दो पक्के मित्र थे| उन दोनों की बाजार में कपडे की दूकान थी| दोनों के परिवार संपन्न थे क्यूंकि दुकान से वह इतनी आमदनी कमा लेते थे कि उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती थी|

एक दिन अचानक किसी वजह से रवि और किशन की कपड़ों की दूकान में आग लग गयी| कपड़ों ने आग पकड़ ली तो दोनों दुकानें धूं धूं कर जल उठीं| सभी लोग इकट्ठे हो गए|

रवि और किशन बेचारे अपनी आखों के सामने अपनी दुकानों को जलता हुआ देख रहे थे|

रवि बहुत जोर जोर से रो रहा था और भगवान् को कोस रहा था कि हे भगवान् तूने मेरा रोजगार छीन लिया, आखिर मैंने तेरा क्या बिगाड़ा था| तूने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी|

तभी लोगों ने देखा कि किशन के चेहरे पर किसी भी तरह का कोई दुःख नहीं झलक रहा था| लोगों ने उससे पूछा कि आपकी भी दुकान जली है लेकिन आप तो बिल्कुल भी दुखी नहीं लग रहे|

किशन बोला अरे भैया मैं तो भगवान का धन्यवाद देना चाहता हूँ क्यूंकि मैं तो दुकान के अंदर बैठा था लेकिन दुकान में आग लगने पर मैं जल्दी से भाग निकला और मेरी जान बच गयी| मैं तो बड़ा खुशनसीब हूँ नहीं तो क्या पता मैं भी जल जाता| दुकान का क्या है फिर से बना लेंगे|

देखा मित्रों, सकारात्मक सोच आपके नजरिये से आती है| रवि और किशन दोनों की दुकान जली लेकिन रवि ने खुद को नकारात्मक बना दिया और वहीँ किशन ने अपने अच्छे नजरिये की वजह से खुद को दुःख में भी सकारात्मक बना लिया| अपना नजरिया अच्छा रखो तो सब कुछ सकारात्मक हो जाता है यही इस कहानी की शिक्षा है|

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