बच्चे की नसीहत Child Education Inspirational Story in Hindi

April 2, 2017

दोस्तों ये कहानी आपको जरूर प्रेरित करेगी, कृपया इसे आप अंत तक पढ़ें। ये एक कहानी सिर्फ़ नसीहत के वास्ते है,,, कहानी के मकसद को समझने की कोशिश करें।

एक उच्च शिक्षा प्राप्त युवक ‘ज्ञान प्रकाश’ अपनी कार से दिल्ली जाते हुए रास्ते में चाय पीने के लिए एक ढाबे पर रुका। उसने देखा कि एक ग्यारह वर्ष का दुबला पतला बच्चा कप प्लेट धो रहा था।

छोटी सी उम्र में उस बच्चे को ढाबे पर कठिन परिश्रम करते हुए देखकर ज्ञान प्रकाश से रहा नहीं गया।

उसने इशारे से बच्चे को अपने पास बुलाया। बच्चा जब ज्ञान प्रकाश के पास जाकर खड़ा हो गया, तो ज्ञान प्रकाश ने उससे कहा ‘पढ़ने लिखने की उम्र में यह काम क्यों करते हो?’ बच्चा बोला ‘बाबूजी, आप कितने पढ़े लिखे हो?’

ज्ञान प्रकाश को बच्चे का प्रश्न अच्छा नहीं लगा और उसे झिड़कते हुए बोला ‘तुम्हें क्या मतलब मैं कितना पढ़ा लिखा हूँ, जितना पूछा उसका जबाव दो।’

कुछ पल के लिए बच्चा चुप हो गया फिर बोला- ‘बाबूजी नाराज क्यों होते हो, चलो इतना ही बता दो, आपने पढ़ लिख कर अपना और परिवार का पेट भरने के सिवाय और क्या कर लिया? आज तक आपने कितने बच्चों को स्कूल पढ़ने भेज दिया? कितने भूखों का पेट भर दिया? केवल बातें बनाते हो।’

ज्ञान प्रकाश के मुँह से एक शब्द भी नहीं निकला, वह चुपचाप बच्चे की बात सुनता रहा, बच्चे ने भी कहना बंद नहीं किया, फिर बोला – अपना और बूढी माँ का पेट तो मैं भी भर लेता हूं। आप तो गरीब और कमजोर बच्चों से ठीक से बात भी नहीं करते, कम से कम मैं सबसे सम्मान से बात तो करता हूँ।

यह कह कर बच्चा फिर से काम करने लग गया, पर ज्ञान प्रकाश के मन को पूरी तरह विचलित कर गया। कई दिन तक बच्चे द्वारा कही गयी बातें उसे कचोटती रहीं। वह समझ चुका था बिना सदभाव और सुविचारों के शिक्षा का कोई अर्थ नहीं होता। उसने निश्चय किया कि अब से वह अपने व्यवहार को बेहतर बनाएगा, बालश्रम के खिलाफ लड़ाई लड़ेगा और गरीब बच्चों को पढ़ायेगा।

“अच्छी नसीहत मानना अपनी ही योग्यता बढ़ाता है।”
– अरविन्द कटोच

बच्चे की नसीहत, यह प्रेरक कहानी हमें “जुगनू नगर” जी ने भेजी है जो बी.ए. ई. के Student हैं और हिंदीसोच के रेगुलर रीडर भी हैं। जुगनू जी ने भी लोगों को ज्ञान बाँटने हेतु एक वेबसाइट बनाई है उनकी वेबसाइट पर जाने के लिए यहाँ visit करें – https://gyanbazar.blogspot.in